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नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं तो हो जाएं सतर्क, इन गंभीर बीमारियों के हो सकते हैं शिकार

नाइट शिफ्ट में नौकरी करने वालों को कैंसर, दिल की बीमारी जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। शोध से इस बात की जानकारी सामने आई है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 02:27 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 04:53 PM (IST)
नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं तो हो जाएं सतर्क, इन गंभीर बीमारियों के हो सकते हैं शिकार
नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं तो हो जाएं सतर्क, इन गंभीर बीमारियों के हो सकते हैं शिकार

वाशिंगटन (प्रेट्र)। नाइट शिफ्ट में काम करने वालों के लिए बुरी खबर है। वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध की मानें तो रात की शिफ्ट में काम करनेवालों को मोटापे और डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है। जिसके कारण उन्हें दिल की बीमारी, स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं में भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक सहित कई वैज्ञानिक शामिल थे। 

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शोध में यह सामने आया है कि दिन और रात में काम करने का शरीर का चक्र दिमाग के द्वारा संचालित होता है। साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि शरीर के लीवर में होने वाले अलग-अलग जैविक क्रियाओं के लिए दिमाग में समय निर्धारित होता है। शोध के माध्यम से यह कहा गया कि बॉडी क्लॉक और ब्रेन क्लॉक का आपस में गहरा कनेक्शन होता है।

वैज्ञानिक हैंस वैन डोंगन ने कहा कि शरीर की पाचन अंगों की जैविक क्रिया के समय का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। उन्होंने अपने शोध के माध्यम से कहा कि दिन औऱ रात की शिफ्ट के हिसाब से शरीर की पाचन अंगों का कार्य समय भी बदल जाता है। यहां तक कि दिमाग भी शरीर में हो रहे बदलाव को नहीं पकड़ पाते है।

परिणामस्वरूप इन शिफ्ट में काम कर रहे लोगों का बॉडी क्लॉक और ब्रेन क्लॉक के बीच का संतुलन बिगड़ जाता है और जिसके कारण शरीर की मेटाबोलिज्म पर इसका असर पड़ता है। प्रोफेसर शोभन का कहना है कि, हमें लगता है कि शिफ्ट वर्क और क्रोनिक किडनी के रोगों के बीच कनेक्शन से संबंधित यह अपनी तरह का पहला शोध है। इस शोध से अन्य कई प्रकार के रोगों का पता चलता है जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर, स्किन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर इत्यादि।

शोध में कहा गया कि शिफ्ट वर्क शरीर की सेलुलर प्रक्रियाओं से जुड़ जाती है जिससे भविष्य में कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। एक बार जब हम उन सेलुलर प्रक्रियाओं को समझ लेते हैं, तो हम इसमें संभावित रूप से शामिल उस जीन की पहचान कर सकते हैं और उसका उपयोग शिफ्ट वर्करों में कैंसर को रोकने के तरीकों को खोजने के लिए कर सकते हैं।"


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