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370 जिंदगियों के साथ पल-पल मौत को अपनी ओर बढ़ते देख रहे थे पायलट

पायलट नई दिल्ली से बिना रुके 15 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर रहे थे। लैंडिंग के दौरान एक पायलट का सबसे बुरा सपना था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 11:27 AM (IST)
370 जिंदगियों के साथ पल-पल मौत को अपनी ओर बढ़ते देख रहे थे पायलट
370 जिंदगियों के साथ पल-पल मौत को अपनी ओर बढ़ते देख रहे थे पायलट

नई दिल्‍ली, जेएनएन। ऐसा माना जाता है कि एक पायलट की जिंदगी काफी रोमांचक होती है, लेकिन एयर इंडिया की एक फ्लाइट के दौरान एक पायलट ने दुस्‍वप्‍न को कुछ यूं बयां किया। इस दौरान खुद उसकी और 370 यात्रियों की जिदंगी खतरे में थी। न्‍यूयार्क में उन्‍हें उतारने की अनुमति नहीं मिल रही थी और उनके विमान का पेट्रोल खत्‍म हो रहा था। ऐसे में उन्‍होंने ऐसा कुछ किया कि सभी दंग रह गए। 

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पायलट ने बताया कि इंडिया बोइंग 777 को न्यूयॉर्क में वायु यातायात नियंत्रण का आदेश दिया गया। कैप्टन रूस्तम पालिया ने एक संक्षिप्त संदेश दिया कि हम जानते हैं कि हम अटक गए हैं और विमान में ईंधन नहीं है। एयर इंडिया की फ्लैगशिप फ्लाइट में AI-101 बोर्डिंग में 370 यात्री सवार थे। 11 सितंबर को खराब मौसम के कारण न्यूयॉर्क के जॉन एफ केनेडी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने में काफी देर तक नाकाम रहे। वे दुनिया की सबसे लंबी उड़ानों में से एक नई दिल्ली से बिना रुके 15 घंटे से अधिक समय तक बिना रुके उड़ान भर रहे थे। यह उड़ान के सबसे महत्वपूर्ण चरण लैंडिंग के दौरान एक पायलट का सबसे बुरा सपना था।

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 पायलट ने बताया कि असल में हमारे पास एकल स्रोत रेडियो अल्‍टीमटर (ऊंचाई मापने का यंत्र) है। हमारे पास कई ट्रैफिक टकराव और बचाव की विफलता की कहानी है। न्यूयॉर्क में एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए एयर इंडिया 777-300 के कमांडर को बेतार जोड़ा गया। इस दौरान कोई स्‍वत: जमीन पर उतरने की सुविधा नहीं थी और न ही सामने का शीशा था।

विमान का ऑटो स्पीड ब्रेक और सहायक बिजली इकाई भी अनुपयोगी है। जेट के तीनों इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) रिसीवर ठीक से काम नहीं कर रहे थे। आईएलएस एक महत्वपूर्ण प्रणाली है जो किसी भी मौसम की स्थिति, दिन और रात में उतरने के दौरान पायलट रनवे के साथ जेट को कतार में खड़े होने में मदद करती है। पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को बताया कि हर बार जब हम किनारे किया जाता है तो यह ठीक से काम नहीं करता है। इस दौरान एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने पूछा कि आपका इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम विमान के दोनों किनारों पर क्‍या सर्विस में नहीं है।
पायलट ने प्रतिक्रिया दी-नहीं, वह ठीक है।

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 एटीसी ने पूछा कि आपने कहा कि हवाई जहाज के दोनों किनारों पर आपके रेडियो एल्‍टीमीटर बाहर हैं?
पायलट ने कहा कि अरे, यह सही है। हम अब एक रेडियो एल्‍टीमीटर के सहारे हैं।
सरल शब्दों में कहें तो नौ साल के बोइंग 777-300 के पायलट, जो डिजाइन किए गए सबसे परिष्कृत विमानों में से हैं, को बिना किसी सहायता के जेट को मैन्युअल रूप से जमीन पर ले जाने की आवश्यकता होगी। बोर्डिंग के दौरान खतरनाक रूप से कम ईंधन और न्यूयॉर्क राज्य क्षेत्र के बड़े हिस्सों में अत्यधिक बादलों की स्थिति थी। ऐसे में पायलटों को सटीक स्थान को जाने बिना रनवे की अनुमानित दिशा में उतरना होगा। पायलटों को कम ऊंचाई की उड़ान भरने की आवश्यकता होगी।
एटीसी ने कहा कि ठीक है एयर इंडिया। जब आपको मौका मिलता है तो मुझे पटल पर बोर्डिंग और ईंधन के बारे में बताएं।
पायलट का जवाब, विमान में कुल 370 लोग हैं और कुल ईंधन 7200 किलोग्राम है। और अंत में उपकरण की विफलताओं की श्रृंखला का सामना करने के बाद जेएफके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विमान उतरने में असमर्थ रहा। ऐसे एआई-101 के पायलट वैकल्पिक हवाई अड्डे में उतरने के लिए तैयार थे। इसके बाद पायलटों ने कुछ और मन बनाया। विमान में कनेक्टिकट के अल्बानी, बोस्टन या ब्रैडली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ान भरने के जोखिम के लिए पर्याप्त ईंधन नहीं था।
मामूली मौसम के बावजूद न्‍यूयार्क में एक नए अप्रोच का मौका मिला। आईएलएस की उपलब्धता के बिना चालक दल ने बोर्ड पर जहाजी विद्या का उपयोग करके "गैर सुस्‍पष्‍ट" अप्रोच को प्रयोग करने का फैसला लिया। इसका मतलब है कि न्‍यूयार्क में जेट के वर्टिकल और पार्श्‍व जहाजी विद्या सिस्टम का उपयोग किया गया। यह एक अलग तरह का दृष्टिकोण था। एयर इंडिया अपने पायलटों को ऐसे प्रशिक्षित नहीं करता है। जेट के निर्माता विमान के परिचालन के दिशानिर्देशों में इस तकनीक का उपयोग नहीं करते हैं। जमीन के छूने के पहले न्‍यूयार्क हवाई अड्डे के टावर ने चेतावनी दी और कहा कि एआई-101 के अपने अप्रोच में देर हो रही थी। 38 मिनट पहले हुए कॉकपिट संकट के बाद 90 सेकंड में जेट आखिरकार जमीन पर था।


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