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WHO ने कहा, बेहतर होगा कि कोरोना से बचाव के लिए ट्रंप जो दवा ले रहे हैं उसका टेस्‍ट किया जाए

WHO ने कहा है कि बेहतर होगा कि कोरोन वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो दवा ले रहे हैं उसका परीक्षण पूरा कर लिया जाए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 04:45 PM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 05:17 PM (IST)
WHO ने कहा, बेहतर होगा कि कोरोना से बचाव के लिए ट्रंप जो दवा ले रहे हैं उसका टेस्‍ट किया जाए
WHO ने कहा, बेहतर होगा कि कोरोना से बचाव के लिए ट्रंप जो दवा ले रहे हैं उसका टेस्‍ट किया जाए

जेनेवा, एपी। विश्‍व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation या WHO) ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) कोरोना वायरस से बचाव के लिए मलेरिया के इलाज में काम आने वाली जो दवा यानी हाइड्रॉक्‍सी क्‍लोरोक्‍वि‍न ले रहे हैं... उस मेडिसिन असर के बारे में अभी तक कोई साफ वैज्ञानिक प्रमान नहीं मिल सका है। WHO का कहना है कि वह कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए दवा के इस्तेमाल की सिफारिश केवल सीमि‍त तौर पर इलाज के परीक्षणों के बारे में ही करता है।

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विश्‍व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation या WHO) में आपातकालीन सेवा के प्रमुख डॉ. माइकल रेयान ने कहा कि कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए जिन दवाओं या तरीको का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रायल हो रहा है। उक्‍त दवा यानी हाइड्रॉक्‍सी क्‍लोरोक्‍वि‍न उनमें से एक है। अभी भी इसके बारे में पता लगाया जा रहा है कि यह कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी रूप से काम करती है या नहीं... WHO की ओर से आए इस बयान से साफ हो गया है कि कोरोना महामारी पर ट्रंप की ओर से बार बार की जा रही आलोचना के आगे वह झुकने वाला नहीं है।

रेयान ने कहा कि बेहतर होगा कि ट्रंप जो दवा ले रहे हैं पहले उसका परीक्षण हो जाए। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि देशों की अपनी पसंद या नापसंद हो सकती है। मालूम हो कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने बीते दिनों कहा था कि वह हाइड्रॉक्सि क्लोरोक्वीन ले रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि उनकी हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन की खुराक एक या दो दिनों में खत्म हो जाएगी। हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन एक दवा है जो 65 सालों से ल्यूपस, गठिया और मलेरिया के इलाज में उपयोगी है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इसके कुछ साइड इफेक्‍ट भी हो सकते हैं। 

गौरतलब है कि अभी हाल ही में चीन में मरीजों का इलाज कर रहे एक भारतीय डॉक्‍टर ने खुलासा किया था कि जिंक, हाइड्राक्सी क्लोरोक्विन और एंडीबायोटिक दवा एजिथ्रोमाइसिन के मेल से वहां के कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। शंघाई के सेंट माइकल अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के डाक्टर संजीव चौबे की मानें तो चीन में अधिकांश मरीजों को जिंक, हाइड्राक्सी क्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन का कांबिनेशन दिया गया जिससे वे जल्दी ठीक हुए और उनको वेंटिलेंटर की भी जरूरत नहीं पड़ी।


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