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कोरोना वैक्‍सीन पर भारत के प्रस्ताव का समर्थन करेगा अमेरिका, डब्ल्यूटीओ से नियमों में राहत देने की मांग

कोरोना टीकों की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो इसके लिए व्हाइट हाउस भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करने पर विचार कर रहा है। दोनों देशों ने डब्ल्यूटीओ से नियमों में राहत मांगी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 06:56 PM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 12:15 AM (IST)
कोरोना वैक्‍सीन पर भारत के प्रस्ताव का समर्थन करेगा अमेरिका, डब्ल्यूटीओ से नियमों में राहत देने की मांग
व्हाइट हाउस कोरोना के मसले पर डब्ल्यूटीओ में भारत के प्रस्ताव का समर्थन करने पर विचार कर रहा है।

वाशिंगटन, पीटीआइ। कोरोना टीकों की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो, इसके लिए व्हाइट हाउस भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करने पर विचार कर रहा है। दोनों देशों ने विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization, WTO) से नियमों में राहत मांगी है। वे चाहते हैं कि आने वाली कोरोना की दवाइयों के उत्पादन में किसी एक देश का एकाधिकार न हो। भारत ने डब्ल्यूटीओ से कहा है कि विकासशील देशों के लिए कोरोना की दवाओं के निर्माण और उनके आयात को सरल बनाने के लिए बौद्धिक संपदा नियमों में राहत दी जाए।

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दोनों देशों ने पत्र लिखकर डब्ल्यूटीओ (World Trade Organization) से बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौते के हिस्से में छूट देने का आह्वान किया है। दरअसल, 60 से अधिक प्रगतिशील सांसदों और गैर लाभकारी फार्मा संगठनों ने दोनों देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए व्हाइट हाउस से अपील की थी। जिसके बाद बाइडन प्रशासन का यह सकारात्मक रुख सामने आया है।

पूर्व के ट्रंप प्रशासन ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था। भारतीय दूतावास ने भी इंडिया कॉकस सहित कई सांसदों से संपर्क इस प्रस्ताव का समर्थन करने का अनुरोध किया था। ट्रिप्स नियमों में छूट देने से विभिन्न देशों और टीका बनाने वाली कंपनियों को ना केवल तकनीक के उपयोग की छूट मिल सकेगी बल्कि एक-दूसरे के साथ जानकारी भी साझा कर सकेंगे।

सीएनबीसी के मुताबिक व्हाइट हाउस कोरोना टीकों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार को निलंबित करने पर विचार कर रहा है। इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े एक सांसद ने कहा कि इस पर निर्णय लेने के लिए 22 मार्च को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई थी, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका। इस दौरान यह भी कहा गया है कि हम तब तक सुरक्षित नहीं हैं जब तक कि दुनिया सुरक्षित नहीं है।


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