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वैज्ञानिकों का दावा: फिर जिंदा की जा सकती हैं डेड ब्रेन कोशिकाएं, पढ़िए पूरी खबर

अमेरिका में येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चार घंटे पहले मर चुके एक सूअर के मस्तिष्क को एक विशेष रसायन की मदद से जिंदा करने में सफलता हासिल की है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 12:01 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 12:01 PM (IST)
वैज्ञानिकों का दावा: फिर जिंदा की जा सकती हैं डेड ब्रेन कोशिकाएं, पढ़िए पूरी खबर
वैज्ञानिकों का दावा: फिर जिंदा की जा सकती हैं डेड ब्रेन कोशिकाएं, पढ़िए पूरी खबर

द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग के जरिये डेड ब्रेन कोशिकाओं को जिंदा करने का दावा किया है। अमेरिका में येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चार घंटे पहले मर चुके एक सूअर के मस्तिष्क को एक विशेष रसायन की मदद से जिंदा करने में सफलता हासिल की है। शोधकर्ताओं के अनुसार, भविष्य में यह शोध हार्ट अटैक और स्ट्रोक पीड़ितों के इलाज में मददगार साबित हो सकता है। इसके साथ ही मस्तिष्क आघात के रहस्यों को उजागर करने में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

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मुख्य शोधकर्ता और न्यूरोसाइंस विभाग के प्रोफेसर नेनाद सेस्टन ने बताया कि एक खास रसायन की मदद से चार घंटे पहले मृत सूअर के मस्तिष्क को आंशिक तौर पर जिंदा कर दिया गया। ब्रेन सेल्स के पुनर्जीवित होने में ब्रेन के अंदर की सर्कुलेशन प्रणाली का फिर से सक्रिय हो जाती है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रयोग केबाद मस्तिष्क ने फिर से काम करना शुरू नहीं किया, बल्कि मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं।

शोध में शामिल येल यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंस विभाग के एक और प्रोफेसर वोनिमीर वरसेल्जा ने बताया कि विशेष प्रयोग से गुजरे मस्तिष्क को चिकित्सीय तौर पर जीवित नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि इसकी सोचने-समझने की शक्ति वापस नहीं आई। इसकी कोशिकाएं फिर से सक्रिय हो जाने के कारण इसे सेल्यूलर एक्टिव ब्रेन कहा जा सकता है। यह शोध नेचर जर्नल में छपेगा। मौत से जुड़े नैतिकता पर सवाल खड़ा होने के बावजूद शोध की सफलता के बाद वैज्ञानिक इसे मानव के लिए फायदेमंद बता रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक और दुर्घटना में मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षतिपूर्ति में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।


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