फैटी लिवर बन सकता है कैंसर का कारण, ये है बचाव के उपाय
सॉफ्ट डिंक्स, फ्रूट जूस और एडेड शुगर वाले खाद्य पदार्थो का ज्यादा सेवन करने वाले लोग सचेत हो जाएं। इनके सेवन से फैटी लिवर रोग का खतरा हो सकता है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। सॉफ्ट डिंक्स, फ्रूट जूस और एडेड शुगर वाले खाद्य पदार्थो का ज्यादा सेवन करने वाले लोग सचेत हो जाएं। इनके सेवन से फैटी लिवर रोग का खतरा हो सकता है। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि इस बीमारी से पीड़ित ज्यादा वजन वाले बच्चे इस तरह के खानपान से परहेज कर लिवर में जमा वसा और सूजन को काफी हद तक कम कर सकते हैं। फैटी लिवर डिजीज या नॉन-एल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस बाद में कैंसर का कारण भी बन सकता है।
नए अध्ययन के अनुसार, मीठे खाद्य पदार्थो और साफ्ट डिंक्स के सेवन को सीमित करने से हानिकारक स्थितियों मसलन मोटापे से भी बचा जा सकता है। इसकी चपेट में तेजी से वयस्क और बच्चे आ रहे हैं। अमेरिका की एमरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की शोधकर्ता मरियम वोस और उनके सहयोगियों ने फैटी लिवर डिजीज से पीड़ित औसतन 13 साल की उम्र वाले 40 बच्चों पर अध्ययन किया। इनमें से एक समूह के बच्चों को एडेड शुगर वाले खाद्य पदार्थो का परहेज करने को कहा गया। आठ सप्ताह बाद इस समूह के बच्चों में लिवर की सेहत में उल्लेखनीय सुधार पाया गया।
दरअस्ल फैटी लिवर दो तरह का होता है। एक एल्कोहलिक फैटी लिवर, जिसमें एल्कोहल के अधिक सेवन के कारण लिवर में सूजन आ जाती है और फैट जमने लगता है। दूसरा है नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर, जिसमें अन्य कारणों से लिवर के आस-पास फैट जमा हो जाता है। दोनों ही प्रकार के फैटी लिवर खतरनाक हैं इसलिए इनके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है।
क्या हैं लक्षण
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर के सामान्य तौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते। जब ये होते हैं तो अमूमन ये लक्षण नजर आते हैं-
- थकान
- दायें एब्डोमन के ऊपरी हिस्से में दर्द
- वजन में गिरावट
फैटी लिवर से ऐसे बचें
- लाइफ-स्टाइल में बदलाव करें
- नियमित व्यायाम और प्राणायाम आदि करें
- उचित समय पर डॉक्टर को दिखाएं औऱ इलाज शुरु करवाएं
फैटी लिवर
फैटी लीवर एक शब्द है जो लिवर में फैटजमा होने का कहते हैं। लीवर में 5 से 10 फीसदी से अधिक फैट जमा होना फैटी लीवर का संकेत है। फैटी लीवर रिवर्सिबल कंडीशन है जिससे लाइफस्टाइल में सुधार कर ठीक किया जा सकता है। इसके ऐसे कोई लक्षण नहीं होते जो स्थायी तौर पर लीवर को नुकसान पहुंचा दें।
नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर का कारण
शहरीकरण के दौर में लोगों के लाइफ स्टाइल में कई सारे बदलाव आए हैं जिससे लोगों में ओवरवेट, मोटापा और डायबिटीज की समस्या होने लगी है। ये तीनों कारक ही फैटी लीवर के सबसे बड़े कारक माने जाते हैं। ऐसे में अगर आप अल्कोहल नहीं ले रहे हैं और आपको इन तीनों में से कोई भी समस्या है तो आपको फैटी लीवर होने की पूरी संभावना है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं करवाया गया तो ये सिरोसिस लिवर में बदल सकता है। ये लिवर डैमेज होने की अवस्था है।