भारत के साथ व्यापार वार्ता पर राष्ट्रपति ट्रंप का आधा सच, जानिए क्या है पूरा मामला?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत ने अमेरिका से विशेष व्यापार समझौता करने का प्रस्ताव किया है। हालांकि, यह अधूरा सच है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अपने बड़बोलेपन के लिए जाने जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत ने अमेरिका से विशेष व्यापार समझौता करने का प्रस्ताव किया है। इतना ही नहीं ट्रंप ने यह जताने की भी कोशिश की थी भारत ने उनकी नीतियों के दबाव और भय से ऐसा प्रस्ताव दिया है।
यह दावा अधूरा सच है। दोनो देशों के बीच एक खास व्यापार समझौते को लेकर चर्चा तो हो रही है लेकिन इस तरह के किसी भी वार्ता का प्रस्ताव भारत की तरफ से नहीं किया गया है। हकीकत यह है कि पूर्व में अमेरिका की तरफ से ही कई बार यह प्रस्ताव किया गया है कि भारत उसके साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करे। जनवरी, 2018 में नई दिल्ली में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर ने अपने पहले भाषण में ही कहा था कि अमेरिका व भारत के बीच एफटीए होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ट्रंप ने सत्ता संभालने के कुछ ही दिन बाद कहा था कि वह दुनिया के बड़े देशों के साथ विशेष व्यापार समझौता करना चाहते हैं। उनका इशारा भारत और चीन की तरफ खास तौर पर था क्योंकि वह राष्ट्रपति बनने से पहले से ही यह कहते रहे हैं कि अमेरिका की कारोबारी नीतियों का चीन व भारत जैसे देश फायदा उठा रहे हैं। इसी बात का जिक्र करते हुए ट्रंप ने यह दावा किया है कि भारत ने अमेरिका के साथ नए व्यापारिक समझौते का प्रस्ताव किया है जिससे अमेरिका को भी फायदा हो।
राष्ट्रपति ट्रंप के दावे को लेकर भारत ने आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी तो नहीं की है लेकिन भारतीय पक्ष यह स्वीकार कर रहा है कि पिछले छह महीनों से दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत शुरु की गई है। पिछले गुरुवार को संपन्न 'टू प्लस टू' वार्ता में भी कारोबार एक अभिन्न हिस्सा था। जून, 2018 में वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु अमेरिका यात्रा पर गये थे जहां उनकी तनाव वाले कारोबारी मुद्दों पर बात हुई थी।
अगले महीने संभवत: प्रभु फिर से अमेरिका जाएंगे जहां टू प्लस टू वार्ता में जिन आर्थिक मुद्दों पर सहमति बनी है उसे आगे बढ़ाने पर बात होगी। यह बातचीत द्विपक्षीय है और इसमें भारत की तरफ से विशेष प्रस्ताव देने जैसी कोई बात नहीं है। वैसे दोनो देश यह महसूस कर रहे हैं कि उनके बीच एक खास कारोबारी समझौता होना चाहिए क्योंकि दोनो के बीच नए संवेदनशील उत्पादों व तकनीकी के कारोबार शुरु हुए हैं। वर्ष 2017 में भारत व अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार 127 अरब डालर का था।