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चीन के खिलाफ अमेरिका का सख्त तेवर, बोला- उसके कामों के लिए ठहराएंगे जिम्मेदार

20 जनवरी को जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों में यह पहली शीर्ष स्तरीय वार्ता थी। इस दौरान चीन ने ट्रंप प्रशासन के दौर में अपनाई गई कठोर अमेरिकी नीतियों में बदलाव का अनुरोध किया।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 08:51 AM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 08:51 AM (IST)
चीन के खिलाफ अमेरिका का सख्त तेवर, बोला- उसके कामों के लिए ठहराएंगे जिम्मेदार
अमेरिका ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले कामों के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराएगा।

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले कामों के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने की बात कही है। अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा कि इसके लिए बीजिंग की जवाबदेही तय की जाएगी। वहीं, अमेरिका में जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली औपचारिक वार्ता में चीन ने ट्रंप प्रशासन की आक्रामक नीतियों में बदलाव की मांग रख दी। साथ ही ताइवान मसले का प्रमुखता से जिक्र करते हुए वन चाइना नीति का सम्मान करने की बात कही।

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पिछले कुछ वर्षो से चीन को तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघनों और शिनजियांग में बड़े पैमाने पर उइगर मुस्लिमों को हिरासत में रखने को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हांगकांग में दमनकारी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून थोपने पर भी बीजिंग की निंदा हो रही है। चीन ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का विरोध भी नहीं किया है। इस देश की सेना के साथ उसके करीबी संबंध बताए जाते हैं। चीनी विदेश मंत्री के साथ बातचीत में ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर अपने साझा मूल्यों और हितों की रक्षा करेगा। ताइवान स्ट्रेट समेत ¨हद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता को खतरा पैदा करने के प्रयासों के लिए चीन को जवाबदेह बनाया जाएगा।

ट्रंप प्रशासन की 'गलतियां' सुधारे अमेरिका

चीनी विदेश मंत्री यांग जेइची ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकेन के साथ टेलीफोन पर हुई पहली बातचीत में ट्रंप प्रशासन के दौर में चीन के प्रति अपनाई गई कठोर अमेरिकी नीतियों में बदलाव का अनुरोध किया। कहा कि दोनों देशों को संबंध सामान्य रखते हुए मिलकर कार्य करने की जरूरत है। कम्युनिस्ट नेता ने कहा, ताइवान पर चीन के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए। इसलिए अमेरिका ताइवान को सैन्य और राजनीतिक सहायता देना बंद करे। साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय चीन के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी बंद करे। बातचीत में चीन ने दक्षिण चीन सागर के ज्यादातर हिस्से पर अपने अधिकार का जिक्र किया। यांग ने हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अमेरिका से सहयोग देने का अनुरोध किया।


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