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अमेरिका के शीर्ष विशेषज्ञ डॉक्टर फासी ने कहा- भारत ने समय से पहले ही कोरोना पाबंदियों में ढील दी

अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फासी ने कहा कि भारत ने महामारी के खत्म होने का गलत आकलन किया। उन्होंने साथ ही कहा कि भारत ने समय से पहले ही कोरोना पाबंदियों में ढील दे दी।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 09:06 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 09:06 AM (IST)
अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फासी। (फोटो: दैनिक जागरण)

वाशिंगटन, प्रेट्र। भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर मचा दिया है। इस कारण भारत में हर रोज 3 लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इसको लेकर अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ और राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फासी ने मंगलवार को कहा कि भारत कोरोना महामारी के इस भीषण संकट में इसलिए पड़ा है, क्योंकि उसने महामारी के खत्म होने का गलत अनुमान लगाते हुए समय से पहले ही पाबंदियों में ढील दे दी।

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कोविड-19 रिस्पांस पर सुनवाई के दौरान डॉ. फासी ने संसद की स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम एवं पेंशन समिति के समक्ष कहा, 'भारत के वर्तमान गंभीर हालात का कारण यह है कि वहां वास्तव में एक लहर थी और उन्होंने यह गलत आकलन किया कि ये समाप्त हो चुकी है और फिर क्या हुआ? भारत ने समय से पहले ही पाबंदियों में ढील दी। इस समय वहां मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है और हम सब इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि यह बेहद विनाशकारी है।'

सुनवाई की अध्यक्षता कर रहीं सीनेटर पैटी मुरे ने कहा कि भारत में बढ़ते कोविड के प्रकोप से मची तबाही इस बात की तरफ ध्यान दिलाती है कि अमेरिका तब तक महामारी को समाप्त नहीं कर सकता जब तक कि यह हर जगह खत्म नहीं हो।

महामारी की दूसरी लहर थमने के संकेत

भारत में पहली बार कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के थमने के ठोस संकेत मिले हैं। दो महीने बाद मंगलवार को पूरे देश में स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या नए संक्रमितों से ज्यादा दर्ज की गई। राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण दर में भी गिरावट देखी गई है। दूसरी लहर में सबसे अधिक प्रभावित दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में नए मामलों में लगातार गिरावट का रख बना हुआ है। हालांकि, पंजाब, ओडिशा, बंगाल, केरल और कर्नाटक जैसे डे़़ढ दर्जन से ज्यादा राज्यों में ब़़ढते मामले अभी भी चिंता का कारण बने हैं।


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