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उत्तर-मध्य भारत में बारिश में भारी कमी का अनुमान, आर्थिक-सामाजिक क्षेत्र में पड़ेगा गहरा प्रभाव

एक अमेरिकी एजेंसी के मुताबिक उत्तर एवं मध्य भारत में सामान्य से काफी कम बारिश हो सकती है। इससे आर्थिक-सामाजिक क्षेत्र में पड़ेगा गहरा प्रभाव पड़ेगा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 05:33 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 05:33 PM (IST)
उत्तर-मध्य भारत में बारिश में भारी कमी का अनुमान, आर्थिक-सामाजिक क्षेत्र में पड़ेगा गहरा प्रभाव
उत्तर-मध्य भारत में बारिश में भारी कमी का अनुमान, आर्थिक-सामाजिक क्षेत्र में पड़ेगा गहरा प्रभाव

वाशिंगटन, पीटीआइ। भारत में इस साल मानसून के दौरान बारिश में भारी कमी आने की चेतावनी दी गई है। एक अमेरिकी एजेंसी के मुताबिक, उत्तर एवं मध्य भारत में सामान्य से काफी कम बारिश हो सकती है। राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) का यह अध्ययन शुक्रवार को सामने आया है। इसमें दक्षिण एशियाई मानसून क्षेत्र में 'मानसून निम्न-दबाव तंत्र' (एमएलपीएस) के उल्लेखनीय हद तक घटने का अनुमान जताया गया है। भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में बारिश का मुख्य कारण यही मानसून निम्न-दबाव तंत्र ही है।

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उत्तर और मध्य भारत में सालाना जितनी बारिश होती है, उसमें आधा से ज्यादा बारिश के लिए यही फैक्टर मेहरबान होता है। अध्ययन में कहा गया है कि मानसून निम्न-दबाव तंत्र में बदलाव की कोई भी वजह हो सकती है। यह प्राकृतिक कारणों से भी हो सकता है और मानव निर्मित भी। कारण कुछ भी हो, इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव गहरे हो सकते हैं। दक्षिण एशिया में 'मानसून कम-दबाव तंत्र' में बदलाव को लेकर अभी तक काफी कम अध्ययन हुए हैं और किसी अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचना अभी बाकी है।

इससे पहले भारतीय मौसम विभाग ने इस साल मानसून के सामान्य रहने का पूर्वानुमान जताया था। बीते दिनों भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) ने कहा था कि इस मानसून में अब तक सामान्य से छह फीसद ज्यादा बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में कम बारिश हुई है। दक्षिण प्रायद्वीप क्षेत्र में अब तक सामान्य से 17 फीसद ज्यादा बरसात रिकॉर्ड की गई है। इस भाग में तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना आते हैं। इनमें से आंध्र प्रदेश में बहुत ज्यादा और तमिलनाडु व तेलंगाना में ज्यादा बरसात हुई है।


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