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आखिर क्‍यों खास है राष्‍ट्रपति ट्रंप का ये संबोधन, जानें- क्‍या है पूरा मामला

पांच फरवरी को प्रस्‍तावित ट्रंप के भाषण पर विपक्ष डिमोक्रेट्स की नजर भी है। आइए जानते हैं कि आखिर ट्रंप का यह भाषण क्‍यों है खास। इस भाषण पर पक्ष और विपक्ष की क्‍यों टिकी है नजर।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 12:58 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 01:08 PM (IST)
आखिर क्‍यों खास है राष्‍ट्रपति ट्रंप का ये संबोधन, जानें- क्‍या है पूरा मामला
आखिर क्‍यों खास है राष्‍ट्रपति ट्रंप का ये संबोधन, जानें- क्‍या है पूरा मामला

वाशिंगटन [ एजेंसी ]। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के स्‍टेट ऑफ द यूनियन भाषण को लेकर वाशिंगटन में एक अधिकारी ने यह संकेत दिया है कि उनका भाषण पांच प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस रहेगा। हालांकि, वरिष्ठ अधिकारी ने भाषण के किसी भी विशिष्ट विवरण की पुष्टि करने से इनकार कर दिया। उन्‍होंने कहा कि लोग यह उम्‍मीद कर रहे हैं कि ट्रंप अपने भाषण में दशकों के राजनीतिक गतिरोध को तोड़ सकते हैं। वह पुराने विभाजन को पाट सकते हैं। पुराने घावों को ठीक कर सकते हैं। नया गठबंधन बना सकते हैं। कोई नया समाधान निकाल सकते हैं। हालांकि, पांच फरवरी को प्रस्‍तावित ट्रंप के भाषण पर विपक्ष डिमोक्रेट्स की नजर भी है। आइए जानते हैं कि आखिर ट्रंप का यह भाषण क्‍यों है खास। इस भाषण पर पक्ष और विपक्ष की क्‍यों टिकी है नजर।
2020 में होने वाले राष्‍ट्रपति चुनाव का होगा रोडमैप
दरअसल, स्टेट ऑफ द यूनियन का संबोधन इसलिए भी अहम है, क्‍यों कि 2020 में यहां राष्‍ट्रपति चुनाव होने हैं। इस लिहाज से ट्रंप के कार्यकाल का यह आखिरी संबोधन होगा। ऐसे में ट्रंप इस भाषण में अपने कार्यकाल के आखिरी साल का रोडमैप देश के सामने रख सकते हैं। विपक्ष डेमोक्रेट्स भी इस बात को जानता है कि राष्‍ट्रपति चुनाव के मद्देनजर यह समस्‍याओं के समाधान से ज्‍यादा राजनीति से प्रेरित हो सकता है। वह अमेरिकन के समक्ष अपनी पार्टी का एजेंडा रख सकते हैं।
अमेरिका-मैक्सिकन सीमा पर दीवार, जगी उम्‍मीद
दरअसल, अमेरिका-मैक्सिकन सीमा पर दीवार को लेकर ट्रंप और विपक्ष के बीच सियासी गतिरोध जारी है। इसके चलते अमेरिका में कई दिनों से इमरजेंसी लगी हुई है। सरकारी कामकाज ठप है। ऐसे में यह उम्‍मीद की जा रही है कि सियासी मतभेद को खत्‍म करने के लिए ट्रंप कोई जादुई समाधान दे सकते हैं। इसे लेकर अमेरिकी राजनीति में पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध चरम पर है।

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राष्‍ट्रपति ट्रंप को पग-पग पर विपक्षी डिमोक्रेट्स का विरोध झेलना पड़ा है। देश में 35 दिनों तक संघीय सरकार का कामकाज ठप रहने के बाद इसे खत्म करने के लिए समझौता हुआ है। 15 फरवरी से फिर से काम शुरू करने पर सहमति बनी है। बता दें कि ट्रंप सीमा पर दीवार के लिए 5.7 अरब डॉलर राशि की मंजूरी की मांग कर रहे हैं, जबकि डेमोक्रेट सांसद सीमा सुरक्षा मुद्दों पर 1.3 अरब डॉलर राशि ही खर्च करने पर अड़े हुए हैं। इसलिए यह उम्‍मीद की जा रही है कि इस भाषण के बाद पक्ष और विपक्ष का गतिरोध समाप्‍त होगा। 
अमेरिकी-चीन ट्रेड वार व अपने संरक्षणवाद पर रख सकते हैं अपना पक्ष
ट्रंप अपने भाषण में अमेरिकी-चीन ट्रेड वार पर अपना पक्ष रख सकते हैं। बता दें कि ट्रंप की व्‍यापार नीति यानी संरक्षणवाद पर उनकी खुद की रिपब्लिकन पार्टी भी उनके खिलाफ थी। अमेरिका में इस नीति की काफी निंदा हुई थी। यहां के अर्थशास्त्रियों ने भी ट्रंप प्रशासन की निंदा की थी। दरअसल, जब सरकार अपने देश के उद्योगों को बढ़ाने के लिए विदेशी सामानों पर कई तरह की पाबंदियां लगाती हैं तो सरकार के इस क़दम को संरक्षणवाद कहते हैं।

यह दावा किया गया था ट्रंप द्वारा चीन के ख़िलाफ़ क़दम उठाने से दोनों देशों समेत दुनियाभर के उपभोक्ताओं को नुक़सान होगा। इस वैश्विक ट्रेड वॉर से दुनिया भर में कंपनियों के लिए काम करना मुश्किल होगा और उन्हें अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने होंगे। दरअसल, ट्रंप संरक्षणवाद के पक्षपोषक थे। उस वक्‍त ट्रंप पर यह आरोप लगा कि यह मुक्त व्यापार के विरोधी हैं। इस मौके पर ट्रंप अपने भाषण में पक्ष और विपक्ष को चीन के साथ व्यापार वार्ता में हुई ठोस प्रगति का विवरण दे सकते हैं। पूर्व में उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश अब तक के सबसे बड़े समझौते तक पहुंच सकता है।
सीरिया और अफगानिस्‍तान पर रख सकते हैं अपना पक्ष
ट्रंप सीरिया और अफगानिस्‍तान के मुद्दे पर अपनी विदेश नीति का पक्ष रख सकते हैं। सीरिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति में बदलाव आया है। ट्रंप प्रशासन का दृष्टिकोण है कि हम अंतहीन विदेशी युद्धों का अंत करते हैं। इसी के तहत ट्रंप ने सीरिया से अपने दो हजार सैनिकाें की वापसी का ऐलान किया था। सीरिया में एक ओर अमेरिका, यूरोप, तुर्की और खाड़ी के देशों की सेनाएं हैं, तो दूसरी ओर रूस, चीन, ईरान, इराक और सीरिया की सेनाएं खड़ी हैं।

बता दें कि सीरिया की बमबारी को लेकर एक बड़ी बात ये आई थी कि ट्रंप के कट्टर समर्थकों में से कुछ ने इस कार्रवाई की निंदा की थी। उनका कहना है कि हमने उनको इसके लिए वोट नहीं दिया था, हमने उन्हें अमरीका फ़र्स्ट के वादे की वजह से वोट दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वो अमरीकी लोगों की ज़िंदगियां बेहतर करेंगे, उनके लिए नौकरियों के अवसर पैदा करेंगे।
वेनेजुएला पर रख सकते हैं ट्रंप अपना पक्ष
वेनेजुएला में ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति पर भी वह पक्ष एवं विपक्ष का मत जानेंगे। ट्रंप प्रशासन वेनेजुएला के  राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ है। इस पर मादुरो ने ट्विटर पर अमेरिकी लोगों को संबोधित करते हुए लिखा था कि वह उनके देश में ट्रंप के हस्तक्षेप के खिलाफ उनका समर्थन चाहते हैं। ट्रंप उनके देश को वियतनाम युद्ध की स्थिति में धकेलना चाहते हैं, आप इसे होने मत दो।
टला था ट्रंप का भाषण
बता दें कि 'स्टेट ऑफ द यूनियन' संबोधन अमेरिकी राष्ट्रपति का सालाना संबोधन होता है, जो नए साल की शुरुआत में दिया जाता है। पहले ये संबोधन इसी मंगलवार यानी 29 जनवरी को ही होना था, लेकिन सरकारी कामकाज आंशिक रुप से ठप होने के कारण ये संभव नहीं हो सका। इसकी वजह से ट्रंप के भाषण को टालकर आगे बढ़ाना पड़ा।


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