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भारत के रूस के साथ पुराने संबंध, अमेरिका को यह समझने की जरूरत: एडमिरल जॉन एक्विलिनो

एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने कहा कि भारत वास्तव में एक शानदार साझेदार है और हमने हाल ही में हुई क्वाड की चर्चाओं में यह देखा भी है। मैं भारत को अमेरिकी उपकरणों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए काम करूंगा।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 08:27 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 08:27 AM (IST)
भारत के रूस के साथ पुराने संबंध, अमेरिका को यह समझने की जरूरत: एडमिरल जॉन एक्विलिनो
भारत का रूस के साथ सुरक्षा सहयोग और सैन्य उपकरणों के साथ एक पुराना रिश्ता रहा है।

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिका के एक शीर्ष एडमिरल ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को यह समझने की जरूरत है कि भारत का रूस के साथ सुरक्षा सहयोग और सैन्य उपकरणों के साथ एक पुराना रिश्ता रहा है। उन्होंने कहा कि प्रमुख रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए प्रतिबंधों का मार्ग अपनाने के बजाय भारत को मास्को से दूर जाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

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एडमिरल जॉन एक्विलिनो, अमेरिका के हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर पद पर तैनाती की पुष्टि के लिए सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति की हुई सुनवाई में शामिल हुए। इस दौरान रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के भारत के फैसले पर सीनेटर जीन शाहीन के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने यह बात कही।

शाहीन ने पूछा कि अगर भारत एस -400 का अधिग्रहण करता है तो क्या हमें उसे मंजूरी देनी चाहिए? इसपर एक्विलिनो ने कहा, 'मुझे लगता है कि मैं नीति निर्माताओं को यह निर्धारित करने के लिए छोड़ दूंगा... मुझे लगता है कि हमें निश्चित रूप से समझना चाहिए कि हम भारत के साथ कहां हैं और मुझे लगता है कि इस मामले में एक विकल्प प्रदान करना बेहतर दृष्टिकोण हो सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत वास्तव में एक शानदार साझेदार है और हमने हाल ही में हुई क्वाड की चर्चाओं में यह देखा भी है। मैं भारत को अमेरिकी उपकरणों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए काम करूंगा। सीनेटर डेबरा फिशर के सवाल का जवाब देते हुए एक्विलिनो ने कहा कि चीन के साथ गतिरोध के बीच भारत ने अपनी उत्तरी सीमा की रक्षा के लिए जो काम किया है, वह उल्लेखनीय है।

क्वाड देशों- अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने 12 मार्च को अपना पहला ऑनलाइन शिखर सम्मेलन आयोजित किया था। इस दौरान राष्ट्रपति जो बाइडन ने गठबंधन के नेताओं से कहा था कि उनके लिए ‘स्वतंत्र और खुला’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र आवश्यक है और उनका देश स्थिरता हासिल करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।


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