भारतीय समुद्री सीमा में नौवहन का अमेरिका ने किया बचाव, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की दिलाई याद, जानें क्या कहा
अमेरिका ने कहा है कि भारत की मंजूरी के बिना उसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के दायरे में नौसैनिक पोत द्वारा नौवहन अधिकारों का उपयोग करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप है। भारत ने इस मामले में कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिका ने कहा है कि भारत की मंजूरी के बिना उसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के दायरे में नौसैनिक पोत द्वारा नौवहन अधिकारों का उपयोग करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप है। एक असामान्य कदम के तहत अमेरिकी नौसेना ने एलान किया था कि उसने भारत के अत्यधिक समुद्री दावे को चुनौती देने के लिए भारतीय जल क्षेत्र में उसकी पूर्व अनुमति के बिना नौवहन किया है।
अमेरिकी नौसेना के पोत जॉन पॉल जोंस के भारत के ईईजेड से गुजरने के संबंध में भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। भारत सरकार ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र का कानून बिना सहमति के इस तरह से नौवहन की इजाजत नहीं देता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत सरकार समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहती है। इसके तहत तटीय देश की मंजूरी के बगैर किसी के विशेष आर्थिक क्षेत्र में नौवहन अधिकृत नहीं है।
दूसरी तरफ, पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने संवाददाताओं से कहा, मैं कह सकता हूं कि नौसेना के विध्वंसक पोत यूएसएस जॉन पॉल जोंस ने मालदीव गणतंत्र के नजदीक समुद्री क्षेत्र में सामान्य परिचालन के तहत अहानिकारक तरीके से गुजरते हुए अपने नौवहन अधिकारों एवं स्वतंत्रता का उपयोग किया। ऐसे में उसने बिना पूर्वानुमति के उसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में परिचालन किया।
उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी कर साफ कर दिया कि भारत सरकार का नजरिया स्पष्ट है कि संयुक्त राष्ट्र कनवेंशन दूसरे देश को बिना पूर्व अनुमति के विशेष आर्थिक जोन में सैन्य अभ्यास और आवाजाही की अनुमति नहीं देता। यही नहीं संबंधित तटीय मुल्क से पूर्व अनुमति लिए बिना इस तरह की कोई भी गतिविधि नहीं की जा सकती है। मालूम हो कि कुछ समय पहले अमेरिकी नौसेना ने इसी तरह की हरकत जापान के समुद्री इलाके में भी की थी।