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अफगानिस्‍तान में स्‍थाई शांति व अमेरिकी सुरक्षा के लिए कांग्रेसियों ने ट्रंप प्रशासन से लगाई गुहार

इन सांसदों ने विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा सचिव को एक पत्र लिखा है। इन कांग्रेसियों ने ट्रंप प्रशासन से अमेरिकी सुरक्षा को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 08:54 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 08:54 AM (IST)
अफगानिस्‍तान में स्‍थाई शांति व अमेरिकी सुरक्षा के लिए कांग्रेसियों ने ट्रंप प्रशासन से लगाई गुहार
अफगानिस्‍तान में स्‍थाई शांति व अमेरिकी सुरक्षा के लिए कांग्रेसियों ने ट्रंप प्रशासन से लगाई गुहार

वाशिंगटन,  एजेंसी । अमेरिकी सांसदों ने तालिबान के साथ चल रही शांति समझौते की प्रक्रिया को लेकर ट्रंप प्रशासन से पारदर्शिता की मांग की है। इन सांसदों ने कहा है कि राष्‍ट्रपति ट्रंप युद्धग्रस्‍त अफगानिस्‍तान में एक स्‍थायी शांति का आश्‍वास्‍न दें। इन सांसदों ने विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा सचिव को एक पत्र लिखा है। इन कांग्रेसियों ने ट्रंप प्रशासन से अमेरिकी सुरक्षा को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। बता दें कि अमेरिका अफगानिस्तान में पिछले एक सप्ताह में आई हिंसा में कमी की स्थिति बने रहने पर शनिवार को तालिबान के साथ एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेगा। तालिबान ने भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर की योजना की पुष्टि की है।

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अमेरिका की सुरक्षा सर्वोपरि

27 फरवरी को लिख पत्र में कांग्रेसियों ने कहा है कि हमारे लिए अमेरिका की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसलिए तालिबान के साथ हुए शांति समझौते में पारदर्शिता होनी चाहिए। अमेरिका और तालिबान के बीच कोई भी सौदा सार्वजनिक होगा। इसमें कोई गुप्‍त एजेंडा शामिल नहीं होगा। सांसदों ने यह भी मांग की है इसके लिए संयुक्‍त आतंकवाद रोधी केंद्र स्‍थापति नहीं किए जाएं। पत्र में मांग की गई है कि तालिबान के साथ समझौते के बावजूद अलकायदा से जुड़े हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ प्रतिबंध बरकरार रहें। इसमें कहा गया है कि तालिबान ऐसा आतंकवादी संगठन है जिसने आत्मघाती हमलों को आम बनाया और अमेरिकी लोग अपनी सुरक्षा के लिए इन आतंकवादियों पर भरोसा नहीं कर सकते।

सावधान होकर किया जाए शांति समझौता

इन पत्र में कहा गया है कि हमें उन रिपोर्टों के बारे में गंभीर चिंता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहा है, जिन आतंकवादियों ने 9/11 के हमलों के पहले और बाद में अल-कायदा को साथ दिया था। पत्र में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा देश हमारे सहयोगियों की मदद करने वाले बुरे सौदों से दूर रहे। इस नीति को ध्‍यान में रखते उन्होंने कहा कि हम इस बात का आश्वासन मांग रहे हैं कि ट्रंप प्रशासन अमेरिकी लोगों की सुरक्षा को तालिबान के हाथों में नहीं डालेंगे और हमारे सहयोगी अफगानिस्तान की वर्तमान सरकार को कमजोर नहीं करेंगे। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका और तालिबान के साथ कोई ऐसा समझौत नहीं किया जाए, जिससे अमेरिकी सुरक्षा को खतरा उत्‍पन्‍न हो। 

अमेरिका और तालिबान के बीच कोई भी सौदा सार्वजनिक हो

सांसदों ने कहा कि अमेरिका और तालिबान के बीच कोई भी सौदा सार्वजनिक होगा। इसमें कोई भी हिडेन एजेंडा शामिल नहीं किया जाएगा, जो अमेरिकी सुरक्षा को खतरे में डाले। इस पत्र में आगे कहा गया है कि अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सेना के स्‍तर पर जमीनी हकी‍कत और स्थितियों के साथ निर्णय लिया जाना चाहिए। इसका आधार अमेरिकी राष्‍ट्रीय सुरक्षा हो। पत्र में आगे कहा गया है कि सौदे में पूर्ण अमेरिकी वापसी के लिए प्रतिबद्धता नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार की प्रतिबद्धता से अमेरिकी हितों पर बूरा असर पड़ सकता है।  


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