अमेरिकी सांसदों ने ऐतिहासिक क्वाड शिखर सम्मेलन को सराहा, राष्ट्रपति बाइडन के इन कदमों का किया समर्थन
शीर्ष अमेरिकी सांसदों और विशेषज्ञों ने जापान भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए पहले क्वाड शिखर सम्मेलन की सराहना की है। साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा प्रस्तुत चुनौती का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन किया है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। शीर्ष अमेरिकी सांसदों और विशेषज्ञों ने जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए पहले क्वाड शिखर सम्मेलन की सराहना की है। साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा प्रस्तुत चुनौती का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन किया है। बता दें कि 12 मार्च को बाइडन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा के बीच एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद और एशिया, प्रशांत और परमाणु अप्रसार उप समिति के अध्यक्ष डॉ. एमी बेरा ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र अमेरिकी विदेश नीति के लिए सबसे अहम क्षेत्र है। यहां पर बहुत सी चुनौतियों के साथ-साथ अथाह संभावनाएं भी हैं। 'हिंद-प्रशात क्षेत्र में अमेरिका की नीति' मुद्दे पर संसद में सुनवाई के दौरान बेरा ने कहा कि पिछले एक दशक में यह पहली बार है जब दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में ना केवल आक्रामकता बढ़ी है बल्कि बीजिंग सबसे बड़ी भू-राजनैतिक चुनौती बनकर उभरा है। उन्होंने कहा, 'मित्र और साझेदार राष्ट्रों के हितों के चलते हिंद-प्रशांत क्षेत्र अमेरिका के लिए बहुत मायने रखता है।' हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती चहलकदमी वैश्विक शक्तियों के लिए चिंता का सबब बन गया है।
अमेरिका शी चिनफिंग सरकार के किसी भी आक्रामक कदम को रोकने के लिए क्वाड को एक बेहतर विकल्प मानता है। दक्षिण और पूर्वी चीन सागर को लेकर बीजिंग का अपने पड़ोसी देशों से विवाद है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान उसने ना केवल वहां पर कृत्रिम द्वीप बनाए लिए हैं बल्कि सेना को भी तैनात कर दिया है। वैसे तो बीजिंग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, लेकिन वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई, और ताइवान उसके उसके दावे का खंडन करते हैं। पूर्वी चीन सागर में बीजिंग का जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद है।