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हाइपरसोनिक मिसाइल और दूसरे खतरों से बचने के लिए तकनीक विकसित करेंगे जापान-यूएस

दो दिन पहले उत्‍तर कोरिया द्वारा किए गए हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण से जापान काफी सहमा हुआ है। इसको देखते हुए जापान और अमेरिका ने एक ऐसी तकनीक विकसित करने पर जोर दिया है जिससे इस तरह के खतरों से बचा जा सके।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 07 Jan 2022 09:32 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 09:32 AM (IST)
हाइपरसोनिक मिसाइल और दूसरे खतरों से बचने के लिए तकनीक विकसित करेंगे जापान-यूएस
हाइपरसोनिक मिसाइल के खतरे से बचने को विकसित करेंगे नई तकनीक (फाइल फोटो)।

वाशिंगटन (एएनआई/स्‍पूतनिक)। अमेरिका और जापान जल्‍द ही हाइपरसोनिक मिसाइल के खतरे से बचने के लिए संयुक्‍त रूप से एक सुरक्षा कवच तैयार करने के लिए समझौते पर हस्‍ताक्षर करेंगे। इसके विकास के लिए दोनों अपना पूरा सहयोग देंगे। इसकी जानकारी देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि ये हाइपरसोनिक मिसाइल समेत दूसरे खतरों से भी बचाने में सक्षम होगा।

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इसकी जानकारी देते हुए ब्लिंकन ने कहा हम एक नए रिसर्च एंड डेवलेपमेंट की शुरुआत कर रहे हैं। इससे हमारे वैज्ञानिकों, हमारे इंजीनियर्स और प्राग्रोम मैनेजर्स को एक ऐसी तकनीक विकसित करने में मदद मिलेगी जिससे हाइपरसोनिक मिसाइल समेत दूसरे खतरे जिसमें स्‍पेस बेस्‍ड कैपेबिलिटी शामिल है, को समय रहते रोका जा सकेगा। इस समझौते से आपसी सहयोग भी आसान हो जाएगा। ब्ल्किंन ने ये बातें रक्षा मंत्री लायड आस्टिन की मौजूदगी में जापान के विदेश मंत्री हयाशी योशीमासा और रक्षा मंत्री किशी नोबो के साथ हुई वर्चुअल बैठक में कही हैं।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि बुधवार को ही उत्‍तर कोरिया ने अपनी एक हाइपरसोनिक मिसाइल का भी परीक्षण किया था, जिसको बेहद सफल बताया गया है। इस परीक्षण के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने जापान के विदेश मंत्री से बात की थी और उन्‍हें सुरक्षा का पूरा भरोसा भी दिया था। इस परीक्षण के बाद ही गुरुवार को अमेरिका और जापान के बीच ये वर्चुअल बैठक भी हुई थी।

इस बैठक के दौरान ब्लिंकन ने ये भी कहा कि आने वाले समय में अमेरिका और जापान पांच वर्ष के लिए एक नया समझौता साइन करेंगे। इसका मकसद सेना की क्षमता को बढ़ाना और उसके लिए संसाधनों पर निवेश करना होगा। इसमौके पर आस्टिन ने कहा कि जापान को चीन और उत्‍तर कोरिया के खतरे का लगातार सामना करना पड़ रहा है।

इस बैठक मे भारतीय प्रशांत क्षेत्र में सभी देशों के लिए आवागमन की सुविधा सुनिश्चित करने पर भी चर्चा हुई। इस दौरान हयाशी ने उन चुनौतियों का भी जिक्र किया जिसकी वजह से इस काम में दिक्‍कत का सामना करना पड़ रहा है। दोनों ही देशों का ये भी मानना था कि इसको लेकर प्रयास किए जाने चाहिए।


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