चीन ने दिया था गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमले का आदेश, क्या जिनपिंग जानते थे? US खुफिया रिपोर्ट में खुलासा
15 जून को भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने थे जिसमें 20 भारतीय और 35 चीनी सैनिकों की मौत हो गई और चीन में भारत के जवानों को भी पकड़ा था जहां बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।
वॉशिंगटन, रॉयटर्स। एक अमेरिकी खुफिया आकलन के अनुसार, दो एशियाई पॉवरहाउस के बीच हुई खूनी हिंसा के पीछे चीन का हाथ था। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ चीनी जनरल ने पिछले हफ्ते गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला करने के लिए अपनी सेना को अधिकृत किया था, जिसके परिणामस्वरूप भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया।
नाम न छापने की शर्त पर सूत्र द्वारा बताया गया कि वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रमुख और कुछ युद्धक दिग्गजों के बीच अभी भी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में सेवारत जनरल झाओ ज़ोंग्की ने भारत के खिलाफ चीन की सेना को मोर्चा खोलने को मंजूरी दी थी।
यूएस न्यूज के अनुसार, भारत के साथ पूर्व गतिरोध की देखरेख करने वाले झाओ ने पहले ही चिंता व्यक्त की है कि चीन को संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा शोषण से बचने के लिए कमजोर नहीं दिखना चाहिए, जिसमें नई दिल्ली भी शामिल है। इसपर सूत्र का कहना है कि पिछले सप्ताह भारत और चीन के बीच जो भी हुआ, वो भारत को सबक सिखाने के लिए था। हालांकि, भारत के चीन के तुरंत किए गए हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया था, जिससे चीन की सारी गलतफहमी दूर हो गई होगी।
बता दें कि 15 जून को भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने थे, जिसमें 20 भारतीय और 35 चीनी सैनिकों की मौत हो गई और चीन में भारत के जवानों को भी पकड़ा था, जहां बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। हालांकि, यह एक तनावपूर्ण परिस्थिति का परिणाम नहीं था जो नियंत्रण से बाहर हो गया था, लेकिन इससे भारत को बीजिंग के गलत मंसूबों का पता चल गया था।
उस दौरान भारत में व्यापक आक्रोश फैल गया था, जो एक हफ्ते बाद भी जारी है।...और बीजिंग की कोशिश भविष्य में होने वाली बातचीत के लिए भारत को और अधिक लाभकारी बनाने की है।वहीं, यू.एस. ने भारत पर चीनी तकनीकी कंपनी हुआवेई को 5 जी बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने के लिए दबाव डाला। 15 जून की घटना के बाद भारतीयों को कथित तौर पर चीनी सोशल मीडिया ऐप टिक्कॉक को हटाने और चीन में बनाए गए फोन को खत्म करने की दिशा में देखा गया।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग जानते थे सब?
सूत्र ने कहा कि चीन जैसा चाहता था, उससे बिलकुल अलग हुआ है। यह चीन की सेना के लिए जीत नहीं हो सकती। यह स्पष्ट नहीं है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग उन फैसलों में किस हद तक शामिल थे, जिससे खूनी मुठभेड़ हुई थी, हालांकि चीनी सैन्य निर्णय से परिचित विश्लेषकों का कहना है कि वह निश्चित रूप से आदेशों के बारे में जानते होंगे।