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अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में दावा, चीन ने लगाई गलवन घाटी में मारे गए सैनिकों की स्मृति में कार्यक्रमों पर रोक

चीन ने महीनेभर बाद भी यह बात नहीं बताई कि उसके कितने सैनिक मारे गए। मारे गए चीनी सैनिकों के परिजनों के साथ भी बुरा बर्ताव हो रहा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 09:50 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 09:50 PM (IST)
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में दावा, चीन ने लगाई गलवन घाटी में मारे गए सैनिकों की स्मृति में कार्यक्रमों पर रोक
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में दावा, चीन ने लगाई गलवन घाटी में मारे गए सैनिकों की स्मृति में कार्यक्रमों पर रोक

वाशिंगटन, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में मारे तो चीनी सैनिक भी गए थे, लेकिन कम्युनिस्ट सरकार ने न तो यह बात कबूली, न ही कोई शोक या सम्मान समारोह होने दिया। देश के लिए जान देने वाले सैनिक गुमनामी में दफन हो गए। अब इन सैनिकों के परिजन सोशल मीडिया पर गुस्सा और हताशा जता रहे हैं। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। चीन और भारत के बीच यह सैन्य टकराव 15 जून को हुआ था। भारत ने बेझिझक 20 सैनिकों के शहीद होने की बात बताई। देशभर में इन्हें नायक जैसा सम्मान दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 28 जून को मन की बात कार्यक्रम में बलिदानी जवानों को श्रद्धांजलि दी।

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चीन ने महीनेभर बाद भी यह बात नहीं बताई कि उसके कितने सैनिक मारे गए। मारे गए चीनी सैनिकों के परिजनों के साथ भी बुरा बर्ताव हो रहा है। उनकी स्मृति में कोई आयोजन करने पर रोक लगा दी गई है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से टकराव मोल लेना चीन की भारी भूल थी। इसी भूल पर पर्दा डालने के लिए चीन सच्चाई को दबाने की कोशि कर रहा है।

दरअसल चीन ने पूर्वी लद्दाख में मनमाने तरीके से यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी। बकौल भारत, चीन ने उच्च स्तरीय समझौतों का सम्मान किया होता तो टकराव की नौबत ही नहीं आती। भारत के खुफिया सूत्रों का दावा है कि चीन के कम से कम 43 सैनिक मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए थे। अमेरिकी खुफिया विभाग का मानना है कि चीन के 35 सैनिक मारे गए थे।

चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने शोकाकुल परिवारों से कहा है कि वे व्यक्तिगत स्तर पर शहीद सैनिक के लिए कोई परंपरागत आयोजन नहीं कर सकते। इसके लिए कोरोना संक्रमण का बहाना बनाया गया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस फैसले ने उन परिवारों को विचलित कर दिया है, जिन्होंने अपने बेटों को खोया है। इनके परिजन वीबो जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गुस्सा और हताशा जाहिर कर रहे हैं। चीन सरकार इन्हें खामोश नहीं करा पा रही है।

चीन को डर है कि ऐसे आयोजन से गलवन संघर्ष की यादें ताजा हो सकती हैं। सरकार नहीं चाहती कि सैनिकों को शहीद जैसा सम्मान मिले, क्योंकि सोशल मीडिया में यह बात फैलने पर जनभावनाएं भड़क सकती हैं। एक शख्स ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक इसलिए लगाई गई कि यहां परिजन और दोस्त शहीद सैनिक के लिए सम्मान व्यक्त कर सकते हैं।


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