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Origin of Coronavirus : कोरोना की उत्पत्ति पर ठोस नतीजे पर पहुंचने में अमेरिकी खुफिया एजेंसियां विफल

नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक ने एक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 संभवत शुरुआती दौर में छोटे पैमाने पर उभरा और उसने लोगों को संक्रमित किया। यह घटनाक्रम संभवत नवंबर 2019 में या उससे कुछ पहले हुआ।

By Neel RajputEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 06:18 PM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 06:18 PM (IST)
Origin of Coronavirus : कोरोना की उत्पत्ति पर ठोस नतीजे पर पहुंचने में अमेरिकी खुफिया एजेंसियां विफल
अमेरिकी एजेंसियां निष्कर्ष पर एकमत नहीं, जानकारियों को आधा-अधूरा बताया

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी खुफिया एजेंसियां कोरोना की उत्पत्ति के बारे में किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचने में विफल रही हैं। अमेरिकी खुफिया समुदाय अभी तक यह तय नहीं कर सका कि इस बीमारी का वायरस चीन की किसी लैब से लीक हुआ या प्रकृतिक रूप से उभरा। राष्ट्रपति जो बाइडन के आदेश पर कराई गई विस्तृत समीक्षा के परिणामों के अनुसार अभी यह भी तय नहीं हो सका कि कोरोना वायरस को क्या एक जैविक हथियार के रूप में विकसित किया गया था।

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नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक ने एक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 संभवत: शुरुआती दौर में छोटे पैमाने पर उभरा और उसने लोगों को संक्रमित किया। यह घटनाक्रम संभवत: नवंबर 2019 में या उससे कुछ पहले हुआ। क्योंकि दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोरोना के मामले सबसे पहले जानकारी में सामने आए।

खुफिया जांच की अवर्गीकृत रिपोर्ट के अनुसार वायरस को जैविक हथियार के रूप में विकसित नहीं किया गया। अधिकांश एजेंसियां कम विश्वास के साथ यह भी आकलन करती हैं कि सार्स-सीओवी-2 शायद आनुवंशिक रूप से तैयार नहीं किया गया। हालांकि, दो एजेंसियों का मानना है कि किसी भी तरह से आकलन करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। रिपोर्ट में जांच करने वाली खुफिया एजेंसियों का नाम नहीं दिया गया है। यह जांच राष्ट्रपति के मई माह में दिए गए आदेश पर कराई गई।

खुफिया समुदाय का मानना है कि कोरोना के शुरुआती प्रकोप के सामने आने से पहले चीन के अधिकारियों को वायरस का पूर्वाभास नहीं था।

सभी उपलब्ध खुफिया रिपोर्टिंग और अन्य सूचनाओं की जांच के बाद, खुफिया समुदाय कोरोना की सबसे संभावित उत्पत्ति पर विभाजित है। खुफिया एजेंसियों का आकलन दो परिकल्पनाओं की ओर इशारा करता है। कुछ एजेंसियां जहां एक संक्रमित जानवर से वायरस फैलने की बात पर सहमत हैं तो कुछ ने इसे लैब से लीक होने की बात कही है।

रिपोर्ट स्वीकार करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बयान में कहा कि उनका प्रशासन दुनिया भर को दर्द देने वाली इस महामारी की उत्पत्ति के कारणों का पता लगाने के लिए सब कुछ करेगा।

उन्होंने कहा कि इस महामारी की उत्पत्ति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां चीन में मौजूद हैं फिर भी चीन के अधिकारियों ने शुरू से ही अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं और वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय के सदस्यों को इन्हें हासिल करने से रोकने का काम किया है। बाइडन ने कहा कि चीन आज तक पारदर्शिता के आह्वान को खारिज कर लोगों को जानकारी जुटाने नहीं दे रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक टीम, जिसने महामारी के केंद्र वुहान का दौरा किया, ने इस साल की शुरुआत में निष्कर्ष निकाला कि मांस-मछली बाजार (वेट मार्केट) में बेचे जाने वाले जानवरों से इस बीमारी के सबसे अधिक फैलने की संभावना है। हालांकि इस निष्कर्ष को कुछ वैज्ञानिकों ने खारिज कर दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि खुफिया समुदाय किसी निश्चित निष्कर्ष तक तब तक नहीं पहुंच पाएगा जब तक कि उसे और अधिक जानकारियां न मिल जाएं।

उधर राहत महसूस कर रहे चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कोरोना की उत्पत्ति पर अमेरिकी खुफिया समुदाय की रिपोर्ट वैज्ञानिक रूप से विश्वसनीय नहीं है। अमेरिका का यह कहना कि चीन ने इस मामले में पारदर्शिता नहीं दिखाई, मुद्दे का राजनीतिकरण करने और कलंक लगाने का बहाना है।

उसने कहा कि अमेरिकी खुफिया समुदाय की रिपोर्ट ने ऐसा सटीक निष्कर्ष नहीं दिया जैसा अमेरिकी पक्ष चाहता है। इस तरह की कोशिश जारी रखना व्यर्थ है क्योंकि इसका विषय अस्तित्वहीन और विज्ञान विरोधी है।

जान्स हापकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस ने दुनिया में अब तक 21.52 करोड़ लोगों को संक्रमित किया है और 44.83 लाख लोगों की जान ली है। कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित देश अमेरिका में अब तक 3.86 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 6.36 लाख लोग जान गंवा चुके हैं। महामारी ने बड़े पैमाने पर वैश्विक आर्थिक मंदी को जन्म दिया है, जिससे करोड़ों लोगों का जीवन प्रभावित हुआ।


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