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चीन के खिलाफ भारत के साथ US, हथियार सप्‍लाई करने वाला है दूसरा बड़ा देश

महामारी कोविड-19 को लेकर चीन पर अमेरिका समेत दुनिया के अधिकांश देश गुस्‍से में हैं। इस क्रम में भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध को लेकर अमेरिका ने भारत के प्रति अपना समर्थन जताया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 01:19 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 01:19 PM (IST)
चीन के खिलाफ भारत  के साथ US, हथियार सप्‍लाई करने वाला है दूसरा बड़ा देश
भारत को हथियार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है अमेरिका

वाशिंगटन, प्रेट्र। चीन  से पूरी दुनिया में फैली कोविड-19 महामारी को लेकर अमेरिका ने बीजिंग के खिलाफ कई अहम फैसले भी लिए हैं। अब भारत-चीन सीमा समेत हांगकांग, ताइवान, दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर चिंता जाहिर करते हुए व्‍हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने भारत का साथ निभाया है। नाम न जाहिर करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान अमेरिका-भारत के बीच सुरक्षा संबंधों से जुड़े सभी पहलुओं को मजबूती प्रदान की। इस क्रम में भारत को सबसे अधिक हथियारों की सप्‍लाई करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर अमेरिका ने अपना नाम दर्ज करा लिया है। 

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व्‍हाइट हाउस के एक सीनियर प्रशासनिक अधिकारी ने प्रेट्र के साथ एक्‍सक्‍लूसिव इंटरव्‍यू में बताया, 'दुनिया भर में चीन की आक्रामकता को लेकर हम काफी गंभीर हैं। चाहे वह हांग कांग हो या फिर ताईवान, दक्षिण चीन सागर हर जगह चीन की करतूत ने लोगों को परेशानी में डाल दिया है। पिछले 6-7 महीने से भारत के प्रति चीन की आक्रामकता को देखते हुए हम नई दिल्‍ली के साथ हैं।'  उन्‍हेांने आगे कहा, 'हमने भारत को हथियार दिए। हम भारत के साथ हैं और तनावपूर्ण हालात को खत्‍म करने के लिए प्रयास में समर्थन दे रहे हैं।

उल्‍लेखनीय है कि अमेरिकी संसद में 740 अरब डॉलर का रक्षा नीति विधेयक आधिकारिक रूप से पारित कर दी गई। इसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता का विरोध किया गया है।  अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और सीनेट ने मंगलवार को राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (NDAA) पारित किया। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास गत मई माह से ही भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध जारी है। दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता के बाद भी गतिरोध सुलझाने की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। 

द्विदलीय कांग्रेसनल सम्मेलन समिति ने विधेयक के प्रतिनिधि सभा एवं सीनेट के संस्करणों को इस महीने की शुरुआत में मिलाकर अंतिम विधेयक तैयार किया था। चीन की आक्रामकता के विरोध संबंधी प्रावधान को शामिल किया जाना हिंद-प्रशांत क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में भारत जैसे सहयोगियों के लिए अमेरिका के मजबूत समर्थन को दर्शाता है।

शुरुआती मई में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेना आमने सामने थे। दोनों पक्षों के बीच कई राउंड में रणनीतिक व सैन्‍य वार्ता भी हुई लेकिन अब तक इसका कोई समाधान सामने नहीं आया है।  ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत को हथियार भेजने वाले देशों में दूसरे नंबर पर अमेरिका रहा है। चीन के खिलाफ भारत की मदद के लिए अमेरिका ने दो MQ-9 रीपर ड्रोन लीज पर दिया है हालांकि इसे खरीदने के लिए भी भारत के साथ डील हो रही है। इसके अलावा अमेरिका ने LAC पर तैनात भारतीय सेना की मदद के लिए कोल्‍ड वेदर गियर की भी डिलीवरी की है।


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