अफगानिस्तान में बचे अपने नागरिकों को निकालने में सक्षम है अमेरिका: व्हाइट हाउस
31 अगस्त तक अफगानिस्तान में मौजूद सभी अमेरिकियों की पूरी तरह वापसी होनी है। इस साल अप्रैल में राष्ट्रपति जो बाइडन ने ऐलान किया था कि काबुल से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी की जानी है और इसके लिए अगस्त अंंत का डेडलाइन निर्धारित कर दिया गया था।
वाशिंगटन, एपी। तालिबान के कब्जे के बाद से ही युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से लोगों का निकासी अभियान जारी है। इस क्रम में अब अमेरिका के मात्र 300 नागरिक वहां बचे हैं जो बाइडन प्रशासन द्वारा निश्चित डेडलाइन 31 अगस्त के पहले काबुल से निकलना चाहते हैं और इन्हें निकालने की क्षमता देश के पास है। यह जानकारी बाइडन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने दी। अधिकारी ने आशंका व्यक्त की संदिग्ध इस्लामिक स्टेट के आतंकियों पर अमेरिकी ड्रोन हमले से जोखिम अधिक हो गया है। अमेरिका के शीर्ष राजनयिक एंटनी ब्लिंकन ने बताया, 'पिछले कुछ दिनों में यह सबसे खतरनाक समय है।'
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी ब्लिंकन की बात पर अपनी सहमति जताई है और कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा तय की गई मंगलवार की डेडलाइन से पहले करीब 300 अमेरिकी नागरिकों ने निकलने की इच्छा प्रकट की है और अमेरिका उन्हें वहां से निकालने में सक्षम है। उन्होंने यह भी कहा कि बाइडन प्रशासन की वर्तमान योजना के अनुसार, अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में कोई दूतावास नहीं रखा जाएगा। काबुल हवाई अड्डे पर हाल में हुए आत्मघाती हमले के बाद बाइडन ने एक और हमला होने की चेतावनी दी थी।
साथ ही सुलिवन ने कहा कि मंगलवार के बाद भी किसी भी अमेरिकी नागरिक या किसी स्थायी निवासी और जिन अफगानियों ने अमेरिकी को मदद दी उनकी सुरक्षित वापसी को लेकर अमेरिका प्रतिबद्ध है। ब्लिंकन ने कहा कि काबुल एयरपोर्ट पर हालात ठीक नहीं, अफगानिस्तान को छोड़कर जाने के कई राह हैं। अफगान छोड़कर जाने के लिए सड़क के साथ अफगान की सीमा के पास मौजूद देश हैं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 14 अगस्त से तालिबान के काबिज होने के बाद से अब तक कुल 114,000 लोगों को निकाला जा चुका है।
31 अगस्त के बाद अमेरिका को अफगानिस्तान में हमले का हक नहीं
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि 31 अगस्त के बाद अमेरिका को अफगानिस्तान में हमले करने का अधिकार नहीं होगा। तालिबान के नेतृत्व में बनने वाली सरकार इस तरह के किसी भी हमले को रोकेगी। तालिबान ने नांगरहार प्रांत में अमेरिका के ड्रोन हमले की निंदा भी की थी।