ईरान में चाबहार बंदरगाह के निर्माण के लिए भारत को प्रतिबंधों से छूट
अमेरिका ने ईरान में विकसित किए जा रहे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के निर्माण के लिए भारत को कुछ प्रतिबंधों से छूट दे दी है।
वॉशिंगटन, एजेंसी। ईरान से कच्चा तेल आयात करने के लिए छूट देने के बाद अमेरिका ने भारत के प्रति एक और नरम रख अपनाया है। उसने ईरान में विकसित किए जा रहे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के निर्माण के लिए भारत को कुछ प्रतिबंधों से छूट दे दी है। साथ ही उसने अफगानिस्तान से जोड़ने वाली रेलवे लाइन के निर्माण के लिए भी छूट दी है।
ट्रंप प्रशासन का यह फैसला दिखाता है कि ओमान की खाड़ी में विकसित किए जा रहे इस बंदरगाह में भारत की भूमिका को अमेरिका मान्यता देता है। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि एक दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और देशों को छूट देने में उसका रख बेहद सख्त है। यह बंदरगाह युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के विकास के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि गहन विचार के बाद विदेश मंत्री ने 2012 के ईरान स्वतंत्रता व प्रसार रोधी अधिनियम के तहत लगाए गए कुछ प्रतिबंधों से छूट देने का प्रावधान किया है। इस प्रावधान से चाबहार बंदरगाह के विकास, उससे जुड़ी रेलवे लाइन के निर्माण और बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान के इस्तेमाल वाली लेकिन प्रतिबंधित सूची से बाहर वस्तुओं के नौवहन को संभव किया जा सकेगा। साथ ही यह ईरान के पेट्रोलियम उत्पादों के देश में निरंतर आयात भी हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने सोमवार को ही ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों का ईरान के बैंकिंग और ऊर्जा सेक्टरों पर व्यापक असर पड़ेगा। इस कारण यूरोपीय, एशियाई व अन्य देश ईरान से कच्चे तेल का आयात नहीं कर सकेंगे। लेकिन विदेश मंत्री पाइक पोंपियो ने एलान किया कि इस प्रतिबंध से भारत, चीन, इटली, ग्रीस, जापान, दक्षिण कोरिया, ताईवान व तुर्की को छूट दी गई है। ये देश ईरान से तेल अस्थाई रूप से आयात करना जारी रख सकेंगे। हालांकि उन्हें आयात की मात्रा में कमी लानी होगी।
इन कारणों से मिली छूट
ईरान पर थोंपे गए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद चाबहार बंदरगाह के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि यह अफगानिस्तान के आर्थिक विकास और पुनर्निमाण सहायता के लिए बहुत जरूरी था कि चाबहार को प्रतिबंधों से अलग रखा जाए। भारत ने भी अमेरिकी पक्ष को बताया था कि चाबहार के विकास को बाधित करने का सीधा सा मतलब होगा अफगानिस्तान को पाकिस्तान के भरोसे छोड़ना क्योंकि चाबहार से जुड़ी परियोजनाएं अफगानिस्तान में विकास की रफ्तार को तेज करेंगी और वैश्विक बाजार से उसका सीधा संपर्क हो सकेगा। भारत चाबहार के जरिए अफगानिस्तान को समुद्री मार्ग से जोड़ने की मंशा रखता है। अभी तक अफगानिस्तान तक बाहरी वस्तुएं पहुंचाने के लिए पाकिस्तान के बंदरगाह का इस्तेमाल किया जाता है।
2016 में हुआ था समझौता
मई 2016 में भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने ट्रांजिट और ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के निर्माण के लिए समझौते पर दस्तखत किए थे। इसके तहत चाबहार बंदरगाह का तीनों देश इस्तेमाल कर सकेंगे। यह ईरान में नौ परिवहन के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में होगा। इसके अलावा तीनों देशों से अरबों डॉलर के सामान व यात्रियों की आवाजाही भी हो सकेगी।