अमेरिका ने आतंकी संगठनों अल कसम ब्रिगेड, अल कायदा और आईएसआईएस के साइबर और वित्तीय नेटवर्क को किया ध्वस्त
प्रत्येक समूह ने क्रिप्टोक्यूरेंसी और सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने आतंकी अभियानों के लिए ध्यान आकर्षित करने और धन जुटाने के लिए किया।
वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिकी न्याय विभाग ने दुनिया आतंकी संगठन अल कसम ब्रिगेड, अल कायदा और आईएसआईएस से जुड़े 3 वित्तपोषित साइबर अभियानों को उखाड़ फेंकने की घोषणा की। ये 3 अभियान परिष्कृत तौर पर साइबर टूल पर निर्भर थे, जिसमें दुनिया भर से क्रिप्टोकरंसी दान के आग्रह किए जाते थे। प्रत्येक समूह ने क्रिप्टोक्यूरेंसी और सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने आतंकी अभियानों के लिए ध्यान आकर्षित करने और धन जुटाने के लिए किया। अमेरिकी अधिकारियों ने आपराधिक उद्यम से जुड़े लाखों डॉलर, 300 से अधिक क्रिप्टोक्यूरेंसी खाते, चार वेबसाइट और चार फेसबुक पेज जब्त किए।
Each group used cryptocurrency & social media to garner attention & raise funds for their terror campaigns. US authorities seized millions of dollars, over 300 cryptocurrency accounts, four websites & four Facebook pages all related to the criminal enterprise: US Dept of Justice https://t.co/uKF8fqlXps" rel="nofollow
— ANI (@ANI) August 13, 2020
उधर, एफएटीएफ के डर से पाकिस्तान सरकार ने पिछले एक वर्ष में आतंकी संगठनों के बैंकिंग सिस्टम पर ना सिर्फ रोक लगाई है बल्कि कई बड़े आतंकवादियों को जेल के भीतर भी डाला है। इसमें लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के गिरफ्तार आतंकियों में प्रोफेसर जफर इकबाल, याहया अजीज, मुहम्मद अशरफ और अब्दुल सलाम शामिल हैं। पिछले साल पाकिस्तान ने यह कदम फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की महत्वपूर्ण समग्र बैठक से पहले उठाया। पेरिस स्थित वाचडॉग ने पिछले वर्ष जून में पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाला था। उसे एक कार्रवाई की योजना सौंपी थी जिसे अक्टूबर 2019 तक पूरा किया जाना था। ऐसा नहीं होने पर पाकिस्तान को काली सूची में शामिल होने का खतरा है। काली सूची में अभी ईरान और उत्तर कोरिया हैं।
आतंकी फंडिंग पूरी तरह से खत्म हो- भारत
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मानते हैं कि अंतिम उद्देश्य यह है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों व आतंकी संगठनों को जो भी मदद मिल रही हो वह पूरी तरह से खत्म हो। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को प्रतिबंधित करना उद्देश्य नहीं है। दूसरी तरफ पाकिस्तान की कोशिश यह है कि वह ग्रे लिस्ट यानी निगरानी सूची से बाहर निकले। अभी पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है और ग्रे लिस्ट में होने पर भी उसे विदेशी फंड जुटाने में भी दिक्कत आ रही है। जब तक पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रहेगा तब तक वहां बड़ी कंपनियां निवेश करने से हिचकती रहेंगी। वहीं दूसरी तरफ सऊदी अरब जैसे देश ने भी पाकिस्तान में फंडिंग पर रोक लगा दी है।