अमेरिकी सरकार बना रही कानून, मुस्लिमों के अमेरिका आने पर अब कभी नहीं लगेगा प्रतिबंध
डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2017 में राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ईरान उत्तर कोरिया सीरिया लीबिया यमन सोमालिया और वेनेजुएला के नागरिकों के अमरीका आने पर पाबंदी थी। उनका कहना था कि इस कदम से अमेरिका को आतंकी हमलों से बचाने में मदद मिलेगी।
वाशिंगटन, पीटीआइ। मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर लगे बैन को हटाने के बाद बाइडन प्रसाशन भविष्य की तैयारियों में जुट गया है। अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के 140 सांसदों ने मुसलमानों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने से रोकने के लिए और धार्मिक आधार पर भेदभाव के खिलाफ संसद में एक विधेयक को फिर से पेश किया है। इससे पहले अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर पदभार ग्रहण करते हुए बाइडन ने मुस्लिमों पर लगे यात्रा प्रतिबंध को खत्म कर दिया था।
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुस्लिम यात्रा प्रतिबंध संबंधी विधेयक पेश किया था। इसमें ना केवल मुस्लिम बहुल देशों से आने वालों पर रोक लगाई गई थी बल्कि ईरान, उत्तर कोरिया, सीरिया, लीबिया, यमन, सोमालिया और वेनेजुएला के लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया था। उनका कहना था कि इस कदम से अमेरिका को आतंकी हमलों से बचाने में मदद मिलेगी।
सदन की न्यायिक समिति के प्रमुख जेरोल्ड नडलर और जूडी चू ने राष्ट्रीय मूल-आधारित गैर प्रवासियों के लिए भेदभाव रोधी (नो बैन) अधिनियम को शुक्रवार को प्रतिनिधिसभा में पेश किया। सीनेट में इसे क्रिस कांस ने पेश किया। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद एमी बेरा, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल और राजा कृष्णमूर्ति उन लोगों में हैं जो इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं।
नडलर ने कहा कि जब ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिम यात्रा प्रतिबंध जारी किया था तो यह जाहिर हो गया था कि यह ना केवल असंवैधानिक है बल्कि नैतिक रूप से निंदनीय भी है। उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति बाइडन ने कामकाज संभालने के पहले ही दिन इस प्रतिबंध को खत्म करने के लिए साहसी कार्रवाई की और परिवारों को मिलाया। यह कानून सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में कोई भी राष्ट्रपति लोगों को सिर्फ धर्म की वजह से प्रतिबंधित नहीं कर पाएगा।'
वहीं, सीनेटर कॉन्स का कहना है कि हमने मुस्लिम प्रतिबंध पर पृष्ठ बदल दिया है, लेकिन अब हमें अगला अध्याय लिखना है। जिसमें कोई भी राष्ट्रपति किसी भी समुदाय के खिलाफ भेदभाव न कर सके। मुस्लिमों पर जान-बूझकर प्रतिबंध लगाया गया था। इस अधिनियम के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करना चहते हैं कि राष्ट्रपति द्वारा इस तरह के भेदभावपूर्ण कार्रवाई फिर कभी नहीं हो।