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उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न के खिलाफ अमेरिकी संसद में बिल पास, बढ़ेगा चीन-अमेरिका विवाद

अमेरिकी संसद (कांग्रेस) ने चीन द्वारा जातीय अल्पसंख्यकों पर क्रूर अत्याचार के खिलाफ एक द्विदलीय विधेयक पारित किया।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 08:56 AM (IST)
उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न के खिलाफ अमेरिकी संसद में बिल पास, बढ़ेगा चीन-अमेरिका विवाद
उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न के खिलाफ अमेरिकी संसद में बिल पास, बढ़ेगा चीन-अमेरिका विवाद

वाशिंगटन, एपी। अमेरिकी संसद (कांग्रेस) ने चीन द्वारा जातीय अल्पसंख्यकों पर क्रूर अत्याचार के खिलाफ एक द्विदलीय विधेयक पारित किया। यह विधेयक पश्चिमी जियानजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य जातीय समूहों पर अत्याचार कर रहे चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाएगा। उइगर समुदाय के खिलाफ अत्‍याचार को लेकर काफी खबरें आती रहती हैं। हालांकि, इस कदम के बाद अमेरिका और चीन के संबंधों में खटास बढ़नी तय मानी जा रही है।

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बता दें कि अमेरिकी संसद में इस विधेयक को लेकर लंबे समय से तैयारी चल रही थी। विधेयक को पहले ही सीनेट ने पारित कर दिया था, बस इसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हस्ताक्षर की आवश्यकता थी। चीन के खिलाफ इस विधेयक में अमेरिकी संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों ने मिलकर वोट किया। रिपब्लिकन और कांग्रेस के डेमोक्रेटिक सदस्यों ने बिल के समर्थन में बात की थी। कोई भी इसके खिलाफ नहीं बोला, और यह 413-1 वोट से पारित हुआ। वोटिंग से साफ जाहिर है कि चीन के उइगर समुदाय पर हो रहे अत्‍याचार को लेकर अमेरिका में पक्ष-विपक्ष दोनों एकमत हैं।

मानवाधिकार समूहों का कहना है कि कम से कम दस लाख उइगर और अन्य तुर्की मूल के मुस्लिमों को चीन के उत्तर-पश्चिम में स्थित जियानजियांग प्रांत के कैंपों में रहने को मजबूर किया गया है। इन कैंपों में उनके साथ मारपीट और तरह-तरह के अत्याचार किए जाते है। साथ ही उनकी ब्रेनवाशिंग भी की जाती है।

अमेरिका के प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पलोसी ने कहा कि यदि अमेरिका व्यापार हित को देखते हुए चीन में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर कुछ नहीं कहेगा, तो हम दुनिया में किसी भी स्थान पर नैतिकता के तहत कुछ कहने का अधिकार खो देंगे। वहीं, टेक्सास रिपब्लिकन और हाउस चाइना टास्क फोर्स के अध्यक्ष माइकल मैककॉल ने कहा कि जिंगजियांग में उइगरों और अन्य ज्यादातर मुस्लिम जातीय समूहों के खिलाफ जो अत्याचार हो रहा, उसे "सांस्कृतिक नरसंहार" कहना चाहिए।


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