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भारत के साथ अमेरिका के रक्षा संबंध 21वीं सदी के सबसे अहम संबंधों में से एक- मार्क एस्पर

चीन के साथ सीमा विवाद के बीच भारत और अमेरिका रक्षा सहयोग मजबूत कर रहे हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर ने भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों को बेहद अहम बताया।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 06:02 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 06:02 PM (IST)
भारत के साथ अमेरिका के रक्षा संबंध 21वीं सदी के सबसे अहम संबंधों में से एक- मार्क एस्पर
भारत के साथ अमेरिका के रक्षा संबंध 21वीं सदी के सबसे अहम संबंधों में से एक- मार्क एस्पर

वाशिंगटन, एएनआइ। चीन के साथ सीमा  विवाद के बीच भारत और अमेरिका रक्षा सहयोग मजबूत कर रहे हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर ने भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों को बेहद अहम बताया। उन्होंने दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को लेकर कहा, 'मैं 21 वीं सदी के सभी महत्वपूर्ण रक्षा संबंधों में से एक भारत के साथ अपने बढ़ते रक्षा सहयोग पर प्रकाश डालना चाहता हूं। हमने पिछले नवंबर में अपना पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास किया।'

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उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान की बात करें तो यूएसएस निमित्ज हिंद महासागर में भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास कर रहा है। यह एक स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र को नौसेना सहयोग और समर्थन के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। गौरतलब है कि भारत ने सोमवार को अमेरिकी नौसेना के साथ अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के नजदीक युद्धाभ्यास किया था। इसमें दक्षिण चीन सागर से लौट रहे अमेरिकी विमानवाहक युद्धपोत यूएसएस निमित्ज ने भी हिस्सा लिया था।

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर  बारीकी नजर रखा रहा अमेरिका

इससे दौरान एस्पर ने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हो रहीं गतिविधियों पर अमेरिका बारीकी नजर रखा रहा है। उन्होंने खुशी जताई कि दोनों देश समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। एस्पर ने कहा कि वे साल 2020 के अंत तक चीन का दौरा कर सकते हैं। रक्षा मंत्री के तौर पर यह उनकी पहली चीन यात्रा होगी। 

अमेरिकी के नौसैनिक अभ्यास पर ने चीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की

हाल ही में, अमेरिका ने विवादित दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास के लिए यूएसएस रोनाल्ड और यूएसएस निमित्ज वाहक स्ट्राइक समूहों को भेजा है, जिसपर पूरी तरह से चीन अपना दावा करता है। अमेरिकी के नौसैनिक अभ्यास पर ने चीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि अमेरिकी का युद्धाभ्यास का उद्देश्य देशों के बीच तनाव और दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण को बढ़ावा देना है। 

 

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