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ईरान दुनिया में आतंकवाद का नंबर एक प्रायोजक: अमेरिका

यूएन प्रस्ताव को बाधित करने पर रूस और चीन को किया आगाह।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 04:12 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 04:15 PM (IST)
ईरान दुनिया में आतंकवाद का नंबर एक प्रायोजक: अमेरिका
ईरान दुनिया में आतंकवाद का नंबर एक प्रायोजक: अमेरिका

संयुक्त राष्ट्र, एपी। अमेरिका ने ईरान को दुनिया में आतंकवाद का नंबर एक प्रायोजक करार दिया है। साथ ही रूस और चीन को आगाह किया कि अगर वे ईरान पर हथियार प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में लाए जाने वाले प्रस्ताव को बाधित करेंगे तो वे भी आतंकवाद के सह-प्रायोजक बन जाएंगे।

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संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत कैली क्राफ्ट ने गुरुवार को कहा कि उम्मीद है कि रूस और चीन आतंकवाद के नंबर एक प्रायोजक देश के सह-प्रायोजक नहीं बनेंगे। वे पश्चिम एशिया में शांति की अहमियत को समझेंगे। हालांकि ईरान का समर्थन करने पर रूस और चीन के बीच साझीदारी बेहद स्पष्ट है। उन्होंने कहा, 'वे (ईरान) अपनी सीमाओं के बाहर सिर्फ अराजकता, संघर्ष और अफरातफरी को बढ़ावा देने जा रहे हैं। इसलिए हमें उन्हें अलग-थलग करने की जरूरत है।' इससे पहले बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने एलान किया था कि उनका देश ईरान पर अनिश्चितकाल के लिए हथियार प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव पर अगले हफ्ते मतदान कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मांग करेगा। ईरान पर हथियार प्रतिबंध की अवधि 18 अक्टूबर को खत्म हो रही है। रूस और चीन के विदेश मंत्री यूएन महासचिव एंटोनियो गुतेरस को पत्र लिखकर अमेरिका की इस कोशिश की आलोचना भी कर चुके हैं।

हाल ही में ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनेई ने कहा था कि उनका देश अमेरिका के साथ कोई बातचीत नहीं करता चाहता है। क्योंकि वाशिंगटन वार्ता का इस्तेमाल सिर्फ प्रचार के लिए करता है। उन्होंने कहा था कि ट्रंप प्रशासन ईरान के साथ बिना शर्त बातचीत करने का इच्छुक है, लेकिन वह निरंतर इस मुल्क पर दबाव बनाए हुए है। खामनेई ने बकरीद के मौके पर टेलीविजन संबोधन में कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उत्तर कोरिया की तरह ईरान के साथ वार्ता का भी इस्तेमाल करना चाहते हैं। खामनेई ने इस मौके पर यूरोपीय संघ को जमकर कोसा थ।

उन्होंने कहा था कि अमेरिकी पाबंदियों के चलते ईरान की खराब हालत के लिए यूरोपीय देश भी जिम्मेदार है। परमाणु करार को बचाने के लिए यूरोपीय देशों ने कुछ भी नहीं किया। ईरान ने 2015 में अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, चीन और जर्मनी के साथ परमाणु करार किया था। ट्रंप ने मई 2018 में इस समझौते से अमेरिका के हटने का एलान करने के साथ ईरान पर कई प्रतिबंध भी थोप दिए थे। तभी से दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है।


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