भारतीयों में लोकप्रिय एच-1बी वीजा पर ट्रंप प्रशासन ने चलाई कैंची
वीजा मामलों को देखने वाले विभाग अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआइएस) ने 2018 में तीन लाख 35 हजार एच-1बी वीजा आवेदनों को मंजूरी दी।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका के वीजा कार्यक्रम पर ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियों का असर दिखने लगा है। ट्रंप प्रशासन ने भारतीय पेशेवरों के बीच लोकप्रिय एच-1बी वीजा पर कैंची चला दी है। 2017 की तुलना में पिछले साल दस फीसद कम एच-1बी वीजा मंजूर किए गए।
वीजा मामलों को देखने वाले विभाग अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआइएस) ने 2018 में तीन लाख 35 हजार एच-1बी वीजा आवेदनों को मंजूरी दी। इनमें नए और पुराने दोनों आवेदन शामिल थे। यह आंकड़ा 2017 में स्वीकृत किए गए तीन लाख 73 हजार वीजा से दस फीसद कम था।
स्थानीय मीडिया में माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट की विश्लेषक सारा पीयर्स के हवाले से कहा गया है, 'मौजूदा प्रशासन एच-1बी वीजा के इस्तेमाल को कम करने के लिए लगातार आक्रामक कदम उठा रहा है और इस प्रयास का असर आंकड़ों में दिख रहा है।'
क्या है एच-1बी वीजा
इस वीजा के जरिये अमेरिकी कंपनियों को उन क्षेत्रों में उच्च कुशल विदेशी पेशेवरों को नौकरी पर रखने की अनुमति मिलती है जिनमें अमेरिकी पेशेवरों की कमी है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इस पर लगाम कसी जा रही है। हर साल कुल 85 हजार एच-1बी वीजा जारी किए जाते हैं। यह वीजा तीन साल के लिए जारी होता है और छह साल तक इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।
अमेरिकी कंपनी एच-1बी वीजाधारक कर्मियों को बकाया वेतन देने को राजी
अमेरिकी कंपनी पॉपुलस ग्रुप करीब 600 एच-1बी वीजाधारक कर्मचारियों का 11 लाख डॉलर (करीब 7.6 करोड़ रुपये) का बकाया चुकाने को राजी हो गई है। इनमें बड़ी संख्या में उच्च कुशलता वाले भारतीय आइटी पेशेवर हैं।
श्रम विभाग की वेतन संबंधी इकाई ने जांच में पाया था कि छुट्टी के दौरान काम बंद हो जाने पर पॉपुलस ग्रुप एच-1 बी धारक कर्मचारियों का वेतन नहीं दे सका था। यह कंपनी मिशिगन के ट्रॉय में स्थित है। कंपनी ने कहा है कि सभी 594 एच-1बी कर्मचारियों को उनका बकाया वेतन मिल जाएगा।
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