अमेरिकी वायुसेना ने दी सिखों को धार्मिक चिह्नों के साथ सेवा करने की सुविधा
अमेरिकी वायुसेना ने सिखों सहित कुछ खास समुदायों की धार्मिक भावनाओं का खयाल रखते हुए ड्रेस कोड में बदलाव किया है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी वायुसेना ने सिखों सहित कुछ खास समुदायों की धार्मिक भावनाओं का खयाल रखते हुए ड्रेस कोड में बदलाव किया है। इस फैसले से सिखों और अन्य समुदायों के लोगों का अमेरिकी वायुसेना में प्रवेश आसान हो जाएगा। अमेरिकी थल सेना और दुनिया के कई सैन्य बलों ने सिखों को केश, दाढ़ी और कड़ा के साथ कार्य करने की सुविधा दी है।
अमेरिकी वायुसेना में अब धार्मिक मान्यता के अनुसार वर्दी और अन्य सुविधाएं प्राप्त होंगी
नई वायुसेना नीति के अनुसार धार्मिक मान्यता के अनुसार बदलावों को सूचीबद्ध किया गया है। स्पष्ट किया गया है कि निचले स्तर के कमांडर को अपने मातहत (एयरमैन) के धार्मिक मान्यता संबंधी अनुरोध को 30 दिन के भीतर स्वीकार करना होगा। अगर तैनाती अमेरिका से बाहर है तो स्वीकृति में 60 दिन का समय लिया जा सकता है। अनुरोध को स्वीकार करने का फैसला वायुसेना कर्मी के पूरे सेवाकाल में लागू रहेगा। नीति के इस प्रावधान से स्पष्ट है कि अमेरिकी वायुसेना में कार्यरत सिख और अन्य विशेष समुदायों के लोगों को भी अब धार्मिक मान्यता के अनुसार वर्दी और अन्य सूचीबद्ध सुविधाएं प्राप्त होंगी।
अब कोई भी सिख अमेरिकी वायुसेना की सेवा की इच्छा पूरी कर सकता है
कुछ खास परिस्थितियों में इन धार्मिक सुविधाओं पर रोक रहेगी। यह रोक सुरक्षा कारणों के मद्देनजर होगी। सिख कोलिशन स्टाफ अटॉर्नी जीसेल क्लैपर ने कहा है कि अब कोई भी सिख-अमेरिकी अपनी धार्मिक मान्यताओं के साथ वायुसेना की सेवा की अपनी इच्छा पूरी कर सकता है।
अमेरिकी सुरक्षा बलों में सिख पूरी क्षमता और सम्मान के साथ कार्य कर रहे हैं
उन्होंने कहा, सिख अमेरिकी सुरक्षा बलों समेत पूरी दुनिया के सैन्य संगठनों में पूरी क्षमता और सम्मान के साथ कार्य कर रहे हैं। इस समय भी वे बिना किसी अतिरिक्त सुविधाओं के अमेरिकी सेना की हर शाखा में पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रहे हैं। लेकिन नई नीति ने साबित कर दिया है कि अमेरिकी वायुसेना अपने सभी कर्मियों को बराबरी का हक देते उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करती है।
2017 में अमेरिकी थल सेना ने सिखों को केश, दाढ़ी और कड़ा के साथ कार्य करने की सुविधा दी
उल्लेखनीय है कि 2017 में अमेरिकी थल सेना ने भी अपनी नीति में ऐसा ही बदलाव करते हुए धार्मिक अल्पसंख्यक कर्मियों को उनकी मान्यताओं के अनुसार सुविधाएं दी थीं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में कार्यरत सिख कोलिशन लंबे समय से अपनी धार्मिक मान्यताओं को स्वीकार किए जाने की मांग कर रहा था।