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संयुक्त राष्ट्र चीफ ने किया आगाह, कोरोना महामारी के दौर में जैविक हथियारों से हो सकता है आतंकी हमला

गुटेरेस ने कहा है कि दुनिया जिस वक्त इस महामारी से लड़ने में लगी हो उस वक्त आतंकी मौका देख कर हमला कर सकते हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 07:58 AM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 07:58 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र चीफ ने किया आगाह, कोरोना महामारी के दौर में जैविक हथियारों से हो सकता है आतंकी हमला
संयुक्त राष्ट्र चीफ ने किया आगाह, कोरोना महामारी के दौर में जैविक हथियारों से हो सकता है आतंकी हमला

संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने COVID-19 महामारी पर सुरक्षा परिषद की एकता का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, "COVID-19 महामारी के प्रकोप को कम करने के लिए सुरक्षा परिषद की एकता महत्वपूर्ण होगी।" वहीं दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी समूहों की ओर से खड़ी होने वाली चुनौतियों से आगाह रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में फैली COVID-19 महामारी के बीच जैव आतंकवाद के खतरों पर ध्यान रखने की जरूरत है। गुटेरेस ने कहा है कि दुनिया जिस वक्त इस महामारी से लड़ने में लगी हो, उस वक्त आतंकी मौका देख कर हमला कर सकते हैं।

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उन्होंने कहा, "COVID-19 महामारी के प्रकोप को कम करने के लिए सुरक्षा परिषद की एकता महत्वपूर्ण होगी।" समाचार एजेंसी शिन्हुआ को सूचित के मुताबिक "वास्तव में, परिषद से एकता और संकल्प का एक संकेत इस चिंताजनक समय में बहुत कुछ कर सकता है।" गुटेरेस ने कहा कि महामारी के खिलाफ प्रबल होने के लिए, दुनिया को एक साथ काम करने की आवश्यकता होगी। इसका मतलब है कि एकजुटता बढ़ी है, और इसका मतलब है कि आवश्यक संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय स्थिति खतरनाक बनी हुई है, और इसके पास सिर्फ जून के अंत तक शांति अभियानों के संचालन के लिए पर्याप्त पैसा है और सेना और पुलिस-योगदान करने वाले देशों को भुगतान करने की क्षमता नहीं है।

उन्होंने कहा कि COVID-19 की वजह से पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है और इस बीमारी के दुष्प्रभाव कहीं अधिक दूरगामी हैं।" यह महामारी आर्थिक संकट पैदा कर सकती है। आर्थिक अस्थिरता का महिलाओं के लिए विशेष रूप से विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। संघर्ष-सेटिंग में महिला-प्रधान परिवारों की बड़ी संख्या विशेष रूप से आर्थिक झटके के लिए कमजोर होती है।

गुटेरेस ने कहा कि कोरोना एक स्वास्थ्य संकट है। इस महामारी का दुष्परिणाम दूरगामी होगा। ऐसे में जबकि तमाम देशों की सरकारें इस आपदा से निपटने में जुटी हुई हैं आतंकी संगठन इसका फायदा उठा सकते हैं। इन हालात में जैविक आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है।


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