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संयुक्‍त राष्‍ट्र मिशन ने अफगानिस्तान में सिखों पर हुए हमले का दस्तावेज बनाया, 3400 से ज्‍यादा हताहत

संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों के मुताबिक कुल 3458 लोग हताहत हुए हैं इनमें 1282 लोग मारे गए हैं जबकि 2176 लोग घायल हुए हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 05:11 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 05:11 PM (IST)
संयुक्‍त राष्‍ट्र मिशन ने अफगानिस्तान में सिखों पर हुए हमले का दस्तावेज बनाया, 3400 से ज्‍यादा हताहत
संयुक्‍त राष्‍ट्र मिशन ने अफगानिस्तान में सिखों पर हुए हमले का दस्तावेज बनाया, 3400 से ज्‍यादा हताहत

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने सिख समुदाय और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों का दस्तावेज तैयार किया है। साथ ही कहा है कि युद्धग्रस्त देश में वर्ष 2020 की पहली छमाही में 3400 से अधिक नागरिक हताहत हुए हैं। इसी साल मार्च में हथियारों से लैस बंदूकधारियों और आत्मघाती हमलावरों ने काबुल के शोर बाजार इलाके में एक सिख गुरुद्वारे पर हमला किया था।

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अफगानिस्तान में स्थित संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) की 'द प्रोटेक्शन ऑफ सिविलियन इन आ‌र्म्ड कांप्लिक्ट' की छमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 के पहले छह महीने में नागरिकों पर हुए हमले में उतार-चढ़ाव देखा गया है। संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों के मुताबिक कुल 3,458 लोग हताहत हुए हैं, इनमें 1,282 लोग मारे गए हैं, जबकि 2,176 लोग घायल हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएनएएमए अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट-खोरासन प्रोविंस (आइएसआइएल-केपी) द्वारा सिख और शिया मुस्लिम आबादी पर किए गए हमलों का भी आकलन कर रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 के पहले छह महीनों से तुलना करें, तो हताहतों की संख्या में 13 फीसद की कमी आई है, लेकिन अफगानिस्तान अभी भी आम नागरिकों के लिए सबसे खतरनाक स्थलों में से एक है। बता दें कि इसी साल मार्च में हथियारों से लैस बंदूकधारियों और आत्मघाती हमलावरों ने काबुल के शोर बाजार इलाके में एक सिख गुरुद्वारे पर हमला किया था। हमले में 25 सिख श्रद्धालु मारे गए थे। पाकिस्तानी नागरिक और आइएसआइएल-के प्रमुख असलम फारूकी इस गुरुद्वारे पर हुए घातक हमले का मास्टरमाइंड था। इस हमले के बाद अप्रैल और मई महीने में अफगान सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया, जिसके बाद फारूक और उसके पूर्ववर्ती जिया-उल-हक सहित दूसरे आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नागरिक हताहतों की संख्या में कमी तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई के कारण नहीं आई।

अफगान सरकार और तालिबान में शांतिवार्ता का सही समय यूएनएएमए प्रमुख और अफगानिस्तान मामले पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि देबोरा लियोंस ने कहा कि इस समय अफगानिस्तान सरकार और तालिबान में शांतिवार्ता होनी चाहिए, लेकिन वास्तविकता यह है कि क्षेत्र में जारी हिंसा आम लोगों को भयानक नुकसान पहुंचा रही है। लियोंस ने सभी पक्षों से आग्रह किया कि वे दस्तावेज में दर्ज किए गए नुकसान के बारे में बताएं और नरसंहार रोकने सहित वार्ता की मेज पर आएं।


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