आपके बच्चों के मानसिक विकास पर असर डाल रहा वायु प्रदूषण, यूनिसेफ ने किया आगाह
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोर ने आगाह किया है कि वायु प्रदूषण बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोर ने आगाह किया है कि वायु प्रदूषण बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। फोर ने भारत और दक्षिण एशिया में प्रदूषण से निपटने के लिए उचित कदम उठाने की अपील की है।
हाल में भारत से लौटीं फोर ने कहा, 'हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच गई थी। आप जहरीले स्मॉग को एयर फिल्टर मास्क लगाने के बावजूद महसूस कर सकते थे। मैंने देखा कि कैसे वायु प्रदूषण के चलते बच्चे परेशान हो रहे हैं। प्रदूषण सबसे ज्यादा बच्चों और उनके पूरे जीवन को प्रभावित करता है, क्योंकि बच्चों के फेफड़े छोटे होते हैं। साथ ही बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है। बच्चों में प्रदूषण के चलते मस्तिष्क के टिश्यू और सोचने समझने की क्षमता प्रभावित होती है।'
गौरतलब है कि पिछले दिनों दिल्ली समेत आसपास के राज्यों में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था। इसकी वजह से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को सांस लेना मुश्किल हो गया था। इसके बाद स्कूलों की छुट्टी और ऑन-ईवन जैसे कई कदम उठाए गए। वैसे, प्रदूषण की समस्या से भारत ही नहीं पाकिस्तान के लोग भी परेशान हैं। पाकिस्तान में भी प्रदूषण को लेकर हालात बिगड़ गए हैं। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर को स्मॉग ने ढक लिया है। हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण लाहौर कुछ घंटों के लिए दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा। इसके चलते गुरुवार को स्कूल बंद रहे। पाकिस्तान ने इसके लिए भारत पर आरोप मढ़ा है।
प्रतिदिन 27 लोगों की हो रही है मौत
एक गैर-सरकारी संस्था की हाल ही मे जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में सांस की बीमारियों से प्रतिदिन 27 लोगों की मौत हो रही है। दिल्ली में स्वास्थ्य की स्थिति पर प्रजा फाउंडेशन द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में श्वसन तंत्र से संबंधित कैंसर से 551 व सांस की अन्य बीमारियों से पीडि़त 9321 मरीजों की मौत हुई थी। फाउंडेशन ने यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से प्रदूषण से संबंधित चार साल के आंकड़े जुटाए थे। जिसमें कहा गया है कि चार साल में दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब रही।