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UN ने दी चेतावनी, आतंकी संगठन आइएस की दक्षिण एशिया शाखा अफगानिस्‍तान के पड़ोसी देशों के लिए खतरा

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस्लामिक स्टेट (आइएस) की दक्षिण एशिया शाखा अभी भी सक्रिय और खतरनाक है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 09:43 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 09:43 PM (IST)
UN ने दी  चेतावनी, आतंकी संगठन आइएस की दक्षिण एशिया शाखा अफगानिस्‍तान के पड़ोसी देशों के लिए खतरा
UN ने दी चेतावनी, आतंकी संगठन आइएस की दक्षिण एशिया शाखा अफगानिस्‍तान के पड़ोसी देशों के लिए खतरा

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस्लामिक स्टेट (आइएस) की दक्षिण एशिया शाखा अभी भी सक्रिय और खतरनाक है और उसने तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे अन्य आतंकी संगठनों के साथ संपर्क बना लिए हैं। इसमें अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों में सुरक्षा वातावरण को खराब करने की क्षमता है।

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तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकी संगठनों के साथ बनाए संपर्क

इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट-खोरासन (आइएसआइएल-के) का गठन 10 जनवरी, 2015 को टीटीपी के पूर्व कमांडर और स्थापना तालिबान गुट के पूर्व कमांडरों ने की थी जिन्होंने आइएस और उसके मारे गए नेता अबु बकर अल बगदादी के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी। इस समूह ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों में कई हमलों की जिम्मेदारी ली है। आइएसआइएल-के से अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को खतरे और सदस्यों देशों में इस खतरे का सामना करने में संयुक्त राष्ट्र की मदद की कोशिशों पर महासचिव की 10वीं रिपोर्ट के मुताबिक, आइएसआइएल-के 2019 के आखिर तक अफगानी सुरक्षा बलों और तालिबानी लड़ाकों के जबर्दस्त दबाव में आ गया जिसकी वजह से उसे एक तरह से अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत स्थित अपने मुख्यालय से हटना पड़ा।

अफगानी सुरक्षा बलों के दबाव के बावजूद कर रहा ऑनलाइन भर्तियां

रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही अफगानी अधिकारियों ने आइएसआइएल-के लड़ाकों समेत 1,400 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया हो, फिर भी यह आतंकी समूह क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। इसने ऑनलाइन भर्तियां और दुष्प्रचार जारी रखा हुआ है और इसके लिए यह काबुल यूनिवर्सिटी समेत धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों में अपनी गतिविधियों का आयोजन भी करता है। इसने जमात उल अहरार, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान और लश्कर ए इस्लाम समेत अन्य आतंकी संगठनों के साथ अनौपचारिक संपर्क स्थापित कर लिया है जो पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर निरंतर हमले करते रहते हैं।

हिरासत में लिए गए आइएलआइएल-के के ज्यादातर लड़ाकों में अफगानी नागरिक थे, लेकिन इनमें अजरबैजान, कनाडा, फ्रांस, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की और उज्बेकिस्तान के नागरिक भी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस समूह के लड़ाकों की संख्या और उनके भौगोलिक फैलाव का असर उल्लेखनीय है। इस समय कुनार प्रांत में समूह के करीब 2,100 लड़ाके हैं जो अफगानिस्तान में उसका कोर क्षेत्र बन गया है। अफगानिस्तान के अन्य इलाकों में उसके करीब 400 लड़ाके हैं। लिहाजा पूरे देश में उनकी कुल संख्या करीब 2,500 है। पूर्व तालिबानी सदस्य कारी सलाहुद्दीन के नेतृत्व में करीब 25 सदस्यों का संगठन फरयाब प्रांत में खुफिया रूप से मौजूद है।

पिछले साल मई में आइएसआइएल-के को काली सूची में डाल दिया था

सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति ने पिछले साल मई में आइएसआइएल-के को काली सूची में डाल दिया था जिसे आइएसआइएल दक्षिण एशिया शाखा, आइएसआइएल खोरासन, इस्लामिक स्टेट का खोरासन प्रांत और आइएसआइएल का दक्षिण एशिया चैप्टर भी कहा जाता है। वाशिंगटन स्थित गैरलाभकारी नीति अनुसंधान संगठन 'सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज' (सीएसआइएस) की वेबसाइट पर आइएसआइएल की आतंकी पृष्ठभूमि के मुताबिक, 2014 में पाकिस्तानी नागरिक हाफिज सईद खान को इसका पहली अमीर चुना गया था। टीटीपी का वरिष्ठ कमांडर हाफिज कई अन्य प्रमुख टीटीपी सदस्यों को साथ लाने में सफल रहा था। इनमें समूह का प्रवक्ता शेख मकबूल व कई जिला प्रमुख शामिल हैं।


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