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बांग्लादेश में पाकिस्तानी फौज के नरसंहार को यूएन महासचिव ने किया याद, कहा, यह नफरत की सुनामी

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान की सेना के द्वारा तीस लाख से ज्यादा मारे गए लोगों और दो लाख से भी ज्यादा महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं पर दुख जताते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 06:43 PM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 06:48 PM (IST)
बांग्लादेश में पाकिस्तानी फौज के नरसंहार को यूएन महासचिव ने किया याद, कहा, यह नफरत की सुनामी
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस की फाइल फोटो

संयुक्त राष्ट्र, एजेंसियां। नरसंहार के पीड़ितों की याद में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिवस पर भारत और बांग्लादेश दोनों ने ही पाकिस्तान की फौज के 1971 में किए गए नरसंहार को याद किया। बांग्लादेश की आजादी के समय पाकिस्तान की फौज ने तीस लाख से ज्यादा लोगों की हत्या की थी और लाखों महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हुईं।

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पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में 25 मार्च को आधी रात के बाद पाकिस्तानी फौज ने नरसंहार शुरू किया था और उसके बाद इसका अंत 16 दिसंबर को हुआ, जब भारत के दखल देने के बाद पाकिस्तान की सेना ने ढाका में बिना किसी शर्त समर्पण कर दिया।

पाकिस्तान की सेना के द्वारा तीस लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे

इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान की सेना के द्वारा तीस लाख से ज्यादा मारे गए लोगों और दो लाख से भी ज्यादा महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं पर दुख जताते हैं। यह इतिहास का जघन्यतम नरसंहार है।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश में 1971 के नरसंहार को याद करते हुए कहा कि बांग्लादेश इस नरसंहार को भुला नहीं सकता। उन्होंने नरसंहार में मारे गए लोगों को याद करते हुए कहा कि हम ये शपथ लें कि अब ऐसे अत्याचार की पुनरावृत्ति नहीं होने देंगे।

1971 को हुआ था नरसंहार

उल्लेखनीय है कि 2017 में संयुक्त राष्ट्र में शेख हसीना ने पाकिस्तानी सेना के द्वारा किए गए नरसंहार के बारे में पूरी दुनिया को बताया था। पाकिस्तान की सेना ने 25 मार्च 1971 को ऑपरेशन सर्चलाइट चलाते हुए नरसंहार किया था।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने कहा है कि नरसंहार की घटनाएं अक्षम्य अपराध है। यह नफरत और विध्वंश की सुनामी होती हैं।

नरसंहार के पीडि़तों की याद में 1948 से हर साल 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।


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