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यूएन की रिपोर्ट : भुखमरी से हर माह दुनिया में हो रही 10 हजार से अधिक बच्चों की मौत

यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोनावायरस महामारी के कारण हर महीने 10000 से अधिक छोटे बच्चों की मौत भूख के कारण हो रही है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 02:54 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 02:54 PM (IST)
यूएन की रिपोर्ट : भुखमरी से हर माह दुनिया में हो रही 10 हजार से अधिक बच्चों की मौत
यूएन की रिपोर्ट : भुखमरी से हर माह दुनिया में हो रही 10 हजार से अधिक बच्चों की मौत

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क/रॉयटर्स। दुनियाभर में कोरोनावायरस से मची तबाही के नतीजे अब धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। जो देश गरीब थे वहां पर गरीबी बढ़ती जा रही है। जिन देशों में आर्थिक स्थिति ठीकठाक चल रही थी वो पटरी से उतर चुकी है। गरीबी के कारण बच्चों की मौत हो रही है। यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोनावायरस महामारी के कारण हर महीने 10,000 से अधिक छोटे बच्चों की मौत भूख के कारण हो रही है। यूएन की इस रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 

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कोरोना 13 करोड़ लोगों को घेरेगा भुखमरी की ओर 

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि कोरोनावायरस महामारी इस साल करीब 13 करोड़ अतिरिक्त लोगों को भुखमरी की ओर धकेल सकती है। उस रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण हालात और खराब हो रहे हैं और करीब नौ में से एक व्यक्ति को भूखा रहना पड़ रहा है। कोरोना वायरस महामारी के कारण भुखमरी के खिलाफ अभियान एक तरह से थम गया है। पिछड़े देशों में स्वास्थ्यकर्मी और अन्य एजेंसियां कोविड-19 से निपटने में लगी हुई है और भूखे लोगों से एक तरह से ध्यान हट गया है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि गांव में उपजे उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और गांव खाद्य और मेडिकल सप्लाई से कट चुके हैं। इस रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि कोरोना वायरस की वजह से हुई भोजन की आपूर्ति में कमी के कारण एक साल में लगभग 1,20,000 बच्चों की मौत हो सकती है। इस तरह के आंकड़ें सामने आने के बाद लोग हैरान है। 

हर माह लाखों बच्चे हो रहे कुपोषण का शिकार 

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, हर महीने 5,50,000 से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र की चार एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि बढ़ते कुपोषण के दीर्घकालिक नतीजे हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोषण प्रमुख फ्रांसेस्को ब्रांका के मुताबिक, कोविड संकट का खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव अब से कई वर्षों तक दिखता रहेगा। ब्रांका कहते हैं कि कोरोनावायरस का सामाजिक प्रभाव दिखने जा रहा है। 

कोरोना के बिगाड़े हालात 

दुनियाभर में कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए पाबंदियों के कारण पहले से ही कई देश और राज्य भूखमरी का मार झेल रहे हैं। ऐसे में वो अब और हाशिए पर आ गए हैं। पाबंदियों के कारण बाजार और गांवों तक खाद्य और चिकित्सा सहायता नहीं पहुंच पा रही है। कोरोनावायरस महामारी के पहले ही साल में हर महीने 10,000 से अधिक बच्चों की मौत हो रही है।

संयुक्त राष्ट्र का दूसरे देशों से कार्रवाई का आग्रह 

संयुक्त राष्ट्र ने इस दिशा में राष्ट्रों से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है। अफ्रीकी देश बुरकिना फासो में पांच में से एक बच्चा गंभीर कुपोषण का शिकार है। इस देश की आबादी दो करोड़ है और 1.2 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है। अप्रैल के महीने में विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बिसले ने चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था में कमजोरी वैश्विक अकाल का कारण बनेगी।

बिसले ने उस समय कहा था कि विश्व के नेताओं को इससे निपटने के लिए कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी ना सिर्फ अमीर देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है बल्कि संवेदनशील और संघर्षरत देशों पर भी असर डाल रही है। इन देशों में लाखों लोग भुखमरी का सामना करने को मजबूर हो जाएंगे। इसी महीने यूएन की एक और रिपोर्ट में वैश्विक भुखमरी को लेकर कहा गया था पिछले साल भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या एक करोड़ बढ़ गई थी।


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