भारत ने यूएन स्टाफ में न्यायसंगत प्रतिनिधित्व की वकालत की
भारत ने यूएन स्टाफ में भौगोलिक आधार पर न्यायसंगत प्रतिनिधित्व की भी वकालत की है।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सचिवालय स्टाफ में क्षेत्रीय असमानता को लेकर चिंता जताते हुए सक्रियता के साथ इस मसले का समाधान करने की मांग की है। भारत ने यूएन स्टाफ में भौगोलिक आधार पर न्यायसंगत प्रतिनिधित्व की भी वकालत की है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव महेश कुमार ने गुरुवार को यहां कहा, 'यूएन सचिवालय स्टाफ में कुल 38 हजार कर्मचारी हैं। लेकिन इसमें 64 देशों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है या कम है। इनमें 50 विकासशील देश हैं।'
मानव संसाधन प्रबंधन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में पांचवी समिति (प्रशासनिक और बजटीय) की बैठक के दौरान कुमार ने कहा, यूएन सचिवालय अंतरराष्ट्रीय स्टाफ में क्षेत्रीय असमानता बढ़ती जा रही है। यूएन के सभी विभागों और दफ्तरों के स्टाफ पर गौर करने पर पता चलता है कि इसमें एशिया प्रशांत समूह का महज 17 फीसद प्रतिनिधित्व है। इस क्षेत्र से 53 देश यूएन सदस्य हैं और दुनिया की आधी आबादी इसी क्षेत्र में रहती है। लेकिन यूएन बलों के आधे से ज्यादा कमांडर पश्चिमी यूरोप से हैं।
यूएन के कायाकल्प की जरूरत
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने एक चर्चा के दौरान कहा कि यूएन के सदस्य देश यथास्थिति बनाए रखने के संरक्षक बन गए हैं। वे आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों के मसलों पर कुछ नहीं कर रहे। उन्होंने अंतराष्ट्रीय समुदाय से 75 साल पुरानी इस वैश्विक संस्था के कायाकल्प की मांग की।