अफगानिस्तान के मुद्दे पर जानें क्यों आमने-सामने आए हैं अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र
अफगानिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में जांच के खिलाफ अमेरिका जहां मुखर हो गया है वहीं यूएन महासचिव ने ट्रंप प्रशासन के कदम को गलत बताया है।
न्यूयॉर्क (संयुक्त राष्ट्र)। अफगानिस्तान के मुद्दे पर दूसरी बार अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र आमने-सामने आ गए हैं। इस बार इसकी वजह इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट या अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय बना है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटारेस ने अमेरिका के उस फैसले पर चिंता जताई है, जिसमें ICC की मुख्य अभियोजक फतू बेन्सूडा और एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी फाकीसो मोचोचोको पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है। यूएन प्रमुख के प्रवक्ता के मुताबिक, महासचिव ने इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाई हुई है। आपको बता दें कि द हेग शहर में स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों द्वारा कथित युद्धापराधों की जांच की तैयारी कर रहा है। अमेरिका इसको लेकर शुरू से ही विरोध जताता रहा है।
इस मुद्दे पर अमेरिकी विदेश मंत्री पांपियो ने उलटे आईसीसी पर ही आरोप लगा दिया है। उनका कहना है कि न्यायालय अमेरिकी नागरिकों को उसके न्यायिक क्षेत्र में लाने की गैरकानूनी कोशिशें कर रहा है। अमेरिका की तरफ से फतू और फाकीसो पर लगाई गई पाबंदियां ट्रंप द्वारा जून में जारी उस आधिकारिक आदेश के तहत लगाई गई हैं, जो आईसीसी के साथ जुड़े कुछ व्यक्तियों की संपत्तियों पर प्रतिबंध लगाने के लिये जारी किया गया था।
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को इस तरह की आलोचनाओं और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2004 में इसकी स्थापना के बाद से ही न्यायालय अमेरिका, रूस और चीन सहित अन्य देशों की आलोचना का सामना करती रहा है। अनेक देशों ने न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र में शामिल होने पर मोहर लगाने से इनकार किया है। पोंपियो ने आईसीसी को भ्रष्ट और खंडित संस्था बताया है। उनका कहना है कि अमेरिका ने कभी उस रोम संविदा (Rome Statute) पर हस्ताक्षर नहीं किये, जिसके आधार पर इस कोर्ट का गठन हुआ था। उन्होंने ये भी कहा है कि अमेरिकी नागरिकों को अदालत के न्यायिक-क्षेत्र में लाने की आईसीसी की कोशिशें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। उनके मुताबिक, अमेरिका ये कदम इसलिए भी उठा रहा है क्योंकि आईसीसी ने काफी समय से अमेरिकियों को निशाना बना रहा है, जो बेहद दुखद है।
गौरतलब है कि यूएन और आईसीसी के बीच सहयोग को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसको महासभा ने 13 सितंबर 2004 में मंजूरी दी थी। यूएन प्रमुख के प्रवक्ता के मुताबिक, अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की घोषणा के बाद इस समझौते पर उसके असर का विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि हमें भरोसा है कि व्यक्तियों पर पाबंदियां लगाते समय मेजबान देश के दायित्वों का भी ध्यान रखा जाएगा, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय समझौते के तहत तय किया गया है।
आपको ये भी बता दें कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के कामकाज की निगरानी करने वाली असेंबली ऑफ स्टेट पार्टीज के अध्यक्ष ओ-गोन क्वान ने अधिकारियों पर लगाई गईं अमेरिकी पाबंदियों को खारिज कर दिया है। उन्होंने इस पर अफसोस भी जताया है। पोंपियो के आरोपों पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आईसीसी एक स्वतंत्र और निष्पक्ष कोर्ट है, जो रोम संविदा में तय प्रावधानों के तहत ही संचालित है।
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