यूएन प्रमुख ने कहा, महात्मा गांधी की सीख वर्तमान में भी प्रासंगिक है
भारतीय युवा केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के भविष्य को बदलने में अहम योगदान दे रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा दिया गया 'सांप्रदायिक सद्भाव और सहिष्णुता' का संदेश अब भी उतना ही प्रासंगिक है जितना पहले था। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने अपनी प्रथम भारत यात्रा से पहले यह बात कही है। सोमवार को भारत आ रहे यूएन प्रमुख ने कहा, मुझे खुशी है कि मेरी यात्रा महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष को मनाने के लिए शुरू हो रहे कार्यक्रमों के समय पर हो रही है।
पहली बार सोमवार को भारत यात्रा पर आ रहे एंटोनियो गुतेरस
गांधी को इतिहास के सबसे पूजनीय नेताओं में से एक बताते हुए गुतेरस ने कहा, 'वह महान सामाजिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे। उनके सत्य और अहिंसा के संदेश ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। इसी कारण 2007 में यूएन महासभा ने उनकी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया था।
वर्तमान में गांधी की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, 'इस वक्त गांधी की सीख और उनकी विरासत को संरक्षित करने की जरूरत है। तभी हम पूरे विश्व की जातीय और धार्मिक विविधता का जश्न मना पाएंगे।' अपनी यात्रा के पहले दिन गुतेरस दिल्ली में नए यूएन हाउस का शुभांरभ करेंगे।
दो अक्टूबर को वह 'महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन' के समापन सत्र में हिस्सा लेंगे। वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से मुलाकात करेंगे। तीन अक्टूबर को वह अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर जाएंगे।
गरीबी और भुखमरी मिटाने में भारत की भूमिका अहम
गुतेरस ने कहा कि दुनियाभर में फैली गरीबी और भुखमरी मिटाने में भारत की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि भारत में 80 करोड़ की आबादी 35 साल से नीचे की है। भारतीय युवा केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के भविष्य को बदलने में अहम योगदान दे रहे हैं।