जानें कैसे, Covid-19 में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं विश्व के महान धार्मिक गुरु, UN प्रमुख की अपील
धार्मिक नेता कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में समाधान देने और लोगों को बीमारी के प्रभाव से उबरने में मददगार साबित हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि कोरोना महामारी की कई चुनौतियों से निपटने में धार्मिक नेताओं की अहम भूमिका हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शनिवार को कहा कि इस वैश्विक बीमारी से निपटने के लिए आज सारी दुनिया को एक साथ आने की जरूरत है। अभी दुनिया मजहब या अन्य कारणों से बंटी हुई है। ऐसे में दुनियाभर के धार्मिक नेता विभिन्न समुदाय को एक साथ करने में सक्रिय व प्रभावशाली भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। धार्मिक नेता कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में समाधान देने और लोगों को बीमारी के प्रभाव से उबरने में मददगार साबित हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने एक उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में उक्त बातें कही। इस चर्चा का विषय 'कोविड -19 की कई चुनौतियों का सामना करने में धार्मिक नेताओं की भूमिका' पर केंद्रीत था।
कोरोना महामारी वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा मानवीय संकट
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी सिर्फ एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा मानवीय संकट है। कोरोना महामारी का दुनिया भर में निरंतर प्रसार हो रहा है। इसने करोड़ों लोगों की आजीविका को खत्म कर दिया है। इससे दुनिया भर में अविश्वास गहरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वास नेताओं के कार्य लोगों के मूल्यों, दृष्टिकोण, व्यवहार और कार्यों को प्रभावित करते हैं। सम्मेलन में उन्होंने कोरोना महामारी के मद्देनजर वैश्विक युद्ध विराम के लिए मेरी अपील का समर्थन करने के लिए धार्मिक नेताओं को धन्यवाद दिया। हालांकि, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दुनिया भर में कुछ निश्चित स्थानों पर संघर्ष जारी है।
घरेलू हिंसा को कारगर ढंग से रोक सकते हैं धार्मिक गुरु
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच घरेलू हिंसा में खतरनाक स्तर पर वृद्धि हुई है। विश्व व्यापी लॉकडाउन के चलते समाज में महलिाओं एवं लड़कियों के प्रति उत्पीड़न बढ़ा है। वे हिंसा का जबरदस्त शिकार हुई हैं। समाज में असहिष्णुता में भारी इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह मानवाता के सामान्य सिद्धांतों का उल्लंघन है। इस मोर्चे पर धार्मिक गुरुओं की प्रमुख भूमिका हो सकती है। वह अपने समुदाय के लोगों से घरेलू हिंसा को रोकने की अपील के साथ उसकी भर्त्सना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी अपील का असर समुदाय पर जरूर पड़ेगा।