20 साल पुराने इस मामले में बलूचों ने की पाकिस्तान से मुआवजे की मांग, अमेरिका से की ये अपील
अमेरिकी बलूच संगठन ने पाकिस्तान के 20 साल पुराने परमाणु परीक्षण के खिलाफ आवाज उठाई है।
वाशिंगटन (एएनआई)। अमेरिकी बलोच संगठन 'बलूचिस्तान नेशनल कांग्रेस' (बीएनसी) ने पाकिस्तान के 20 साल पुराने परमाणु परीक्षण मामले में उसकी कड़ी निंदा की है। दरअसल 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में परमाणु परीक्षण किया गया था जिसके कारण हजारों बलूचों को इसका दंश झेलना पड़ा था और जिसका प्रभाव वे आज तक झेल रहे हैं। इसी को लेकर अमेरिकी बलोच संगठन ने आवाज उठाई है और वैश्विक संगठन से इस ओर पहल करने की अपील की है।
28 मई, 1998 को पाकिस्तान ने बलूच नागरिकों की इच्छा और जनादेश के खिलाफ बलूचिस्तान के चाघई जिले के रस कोह हिल्स में एक साथ पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण आयोजित किया गया। बयान में कहा गया कि ये मानवता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ घोर अपराध है।
बयान में आगे कहा गया है कि परमाणु परीक्षण के बाद के प्रभाव के कारण, हजारों बलूचों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि वे ब्लड कैंसर और कई जन्मजात बीमारी से ग्रसित हो गए। क्योंकि हवा में हानिकारक विकिरणें फैल चुकी थी जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ा।
भूमिगत पानी के संसाधन भी लुप्त हो गए और जिसके कारण हजारों बलूचों को अपनी जान गंवानी पड़ी। साथ ही उन्हें बलपूर्वक अपने घरों से निकाल कर विस्थापित कर दिया गया और इसके बदले में उन्हें किसी प्रकार का मुआवजा भी नहीं दिया गया।
बीएनसी के अध्यक्ष डॉ. बलोच ने कहा कि पाकिस्तान को बलूच लोगों के खिलाफ किये इस अपराध के लिए जिम्मेदारी लेनी होगी और जो पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण से प्रभावित हुए हैं उन्हें मुआवजा देना होगा। बयान में यह भी कहा गया है कि बलूचिस्तान एक आजाद राज्य है जिसे 28 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना द्वारा पाकिस्तान में बलपूर्वक मिला लिया गया था। तब से ही बलूच नागरिक पाकिस्तान से अलग होने और आजाद रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कहा गया कि पाकिस्तान एक आतंकी देश है जिसका निर्माण 1947 में भारत के साथ-साथ हुआ था। इस देश में 35 से अधिक आतंकी संगठन सक्रिय हैं जो क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए एक गंभीर खतरा है। इसलिए अमेरिका और सभ्य वैश्विक समुदायों का कर्तव्य है कि वे पाकिस्तान पर गैर-परमाणुकरण के लिए दबाव बनाएं और उसे यूएनओ की सूची से हटा दें ताकि इस क्षेत्र में रहने वाले लोग शांतिपूर्वक रह सकें।