Move to Jagran APP

मंगल ग्रह के वातावरण में भी गुजरती हैं पराबैंगनी किरणें, विशेष उपकरण से लगा सकते हैं पता

मावेन के डाटा का अध्ययन करने वाली टीम यह जानकर आश्चर्यचकित थी कि वसंत और शरद ऋतु के दौरान मंगल ग्रह का आकाश तीन बार इन किरणों के गुजरने से स्पंदित हुआ।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 10:39 PM (IST)
मंगल ग्रह के वातावरण में भी गुजरती हैं पराबैंगनी किरणें, विशेष उपकरण से लगा सकते हैं पता
मंगल ग्रह के वातावरण में भी गुजरती हैं पराबैंगनी किरणें, विशेष उपकरण से लगा सकते हैं पता

वाशिंगटन, आइएएनएस। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मावेन स्पेसक्राफ्ट से प्राप्त डाटा का अध्ययन कर विज्ञानियों ने पता लगाया है कि मंगल के आकाश में भी रात में पराबैंगनी किरणें गुजरती हैं। विज्ञानियों ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि भविष्य में लाल ग्रह पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री इन्हें नग्न आंखों से देख सकेंगे। हालांकि, विशेष उपकरणों के जरिये इनका आसानी से पता लगाया जा सकता है। जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च-स्पेस फिजिक्स में प्रकाशित अध्ययन के परिणामों का प्रयोग मंगल के वातावरण में पराबैंगनी किरणों के जटिल संचलन पैटर्न का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। 

loksabha election banner

विज्ञानियों ने कहा- सर्दियों में लाल ग्रह के वायुमंडल में ज्यादा देखी जाती है इनकी आवाजाही

विज्ञानियों ने बताया कि मावेन के डाटा का अध्ययन करने वाली टीम यह जानकर आश्चर्यचकित थी कि वसंत और शरद ऋतु के दौरान मंगल ग्रह का आकाश तीन बार इन किरणों के गुजरने से स्पंदित हुआ। नए आंकड़ों से सदिर्यो में लाल के ध्रुवों पर अप्रत्याशित तरंगों और सर्पिल आकृतियों का भी पता चलता है, जिसकी पुष्टि मार्स एक्सप्रेस स्पेसक्राफ्ट से प्राप्त का डाटा भी करता है। इसके अध्ययन में यह बात सामने आई कि थी इस ग्रह में सर्दियों में ध्रुव ज्यादा चमकदार रहते हैं। 

हवा की धाराएं सबसे कम और उच्चतम परतों के बीच ले जाती हैं गैसें  

यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो की लैबोरेट्री फॉर एटमॉस्फियरिक एंड स्पेस फिजिक्स (एलएएसपी) से इस अध्ययन के मुख्य लेखक निक श्नाइडर ने कहा, 'ऐसा पहली बार है कि मावेन से प्राप्त छवियों (इमेज) का विश्लेषण किया गया और यहां पराबैंगनी किरणों की आवाजाही का पता लगाया गया। ये छवियां मंगल ग्रह के मध्य वातावरण में वायुमंडलीय गतियों के बारे हमारी जानकारियों को और दुरुस्त करती हैं। यह लाल ग्रह का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां हवा की धाराएं सबसे कम और उच्चतम परतों के बीच गैसों को ले जाती हैं। 

लाल ग्रह पर जीवन की तलाश  

बीते दिनों नासा ने अपने 'मार्स मिशन 2020' को फ्लोरिडा के केप कनेवरल स्थित कनेडी स्पेस सेंटर से लांच किया। इस मिशन के जरिये प्रिजर्वेस रोवर को मंगल की सतह पर भेजा जा रहा है। मिशन के दौरान रोवर मंगल ग्रह की सतह पर जीवन की जानकारी जुटाएगा। साथ ही पत्थर और मिट्टी धरती पर लेकर आएगा। इस मिशन में 'इंजेनुइटी' नाम का एक छोटा हेलीकॉप्टर भी भेजा गया है, जो मंगल ग्रह के वातावरण में उड़ान भरने का प्रयास करेगा।

इसके अलावा रोवर में कुछ खास उपकरण भी लगाए गए हैं, वो वहां की हर जानकारी एकत्र करने में मदद करेंगे। दरअसल, मंगल पर रिसर्च के दौरान आने वाले समय में इंसानों के लिए जरूरी मानकों को भी जांचा जाएगा। इसलिए रोवर में एक ऐसी डिवाइस लगाई गई है जो वहां ऑक्सीजन पैदा करने की कोशिश करेगी। मंगल के वायुमंडल में 0.2 फीसद से भी कम ऑक्सीजन है। इस डिवाइस का नाम मॉक्सी है, जो रोबोट सरीखा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.