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कौन सा मास्‍क है करगर वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, सूती कपड़े की तुलना में नायलॉन की दो परतों वाला कवर ज्‍यादा सुरक्षित

कोरोना संक्रमण से बचाव में मास्‍क की प्रभावी होने के मसले पर कई अध्‍ययन पहले भी आ चुके हैं। अब वैज्ञानिकों ने अपने नए अध्‍ययन में पाया है कि नायलॉन से बने दो परतों वाले मास्क सामान्य मास्क की तुलना में ज्‍यादा प्रभावी हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 04:29 PM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 05:01 PM (IST)
कौन सा मास्‍क है करगर वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, सूती कपड़े की तुलना में नायलॉन की दो परतों वाला कवर ज्‍यादा सुरक्षित
नायलॉन से बने दो परतों वाले मास्क सामान्य मास्क की तुलना में ज्‍यादा प्रभावी हैं।

न्‍यूयॉर्क, पीटीआइ। कोरोना संक्रमण से बचाव में मास्‍क की प्रभावी होने के मसले पर कई अध्‍ययन पहले भी आ चुके हैं। किस चीज से बना मास्‍क ज्‍यादा प्रभावी है इस बारे में वैज्ञानिकों ने एक और अध्‍ययन किया है। ताजा अध्‍ययन में वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क में किए गए बदलावों और उसके प्रभावी होने का मूल्यांकन किया है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन में पाया है कि नायलॉन से बने दो परतों वाले मास्क सामान्य मास्क की तुलना में ज्‍यादा प्रभावी हैं।  

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दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान वायरस से बचाव के लिए चेहरा ढंकने के तमाम उपकरण और मास्क बाजार में देखे जा रहे हैं। दावा यह किया जाता रहा है कि ये चीजें पारंपरिक मास्क के मुकाबले कोरोना संक्रमण से बेहतर तरीके से बचाव करती हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों कहते हैं कि मास्क या चेहरे को ढंकने वाले दूसरे उपकरणों के प्रभाविता को लेकर कम अध्‍ययन हुए हैं। नए अध्‍ययन में वैज्ञानिकों ने मास्‍क की उपयोगिता का मूल्‍यांकन वायरस से संपर्क में आने के आधार पर किया है। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि सर्जिकल मास्क हवा में मौजूद वायरस से इंसान को बचाने में 38.5 फीसद तक प्रभावी हैं लेकिन ऐसा तब है जब इसको कान पर विशेष तरीके से और कसकर बांधा जाए। यदि इसे सटीकता से पहना जाए तो इसकी क्षमता बढ़ जाती है और यह लगभग 60.3 फीसद तक संक्रमण से बचाव कर सकता है। वैज्ञानिकों ने अध्‍ययन में पाया कि जब सर्जिकल मास्क को नायलॉन की परत जोड़ते हुए तैयार किया जाता है तब इसकी प्रभाविता 80 फीसद तक बढ़ जाती है।

इस अध्ययन दल में अमेरिका स्थित यूनिवसिर्टी ऑफ नार्थ कैरोलिना (यूएनसी) से सबद्ध स्कूल ऑफ मेडिसीन के भी वैज्ञानिक शामिल थे। इस रिसर्च पेपर के सह लेखक और वैज्ञानिक इमिली सिकबर्ट बेनेट ने कहा कि बाहर घूमते वक्‍त या किसी से संपर्क के दौरान वायरस की मात्रा का कम करना बेहद जरूरी होता है। यदि आप ज्‍यादा वायरसों के संपर्क में आते हैं तो आपके बीमार होने का जोखिम बेहद ज्‍यादा हो जाता है। यानी मास्‍क वायरस से आपकी रक्षा तभी करेगा जब इसे सटीकता से पहना जाए... 

वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि सूती कपड़े से बना मास्क केवल 49 फीसद प्रभावी है जबकि एन-95 मास्क वायरस से 95 फीसद तक आपको बचाता है। हालांकि वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि यदि मास्‍क को नाक के पास दबाने की क्लिप के साथ इस्‍तेमाल में लाया जाए तो यह बेहतरीन काम करता है। अक्‍सर चर्चा होती है कि मास्‍क को समय समय पर धोते रहना चाहिए ताकि संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सके। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूती और नायलॉन से बने मास्क को धोने से उसकी क्षमता में सुधार होता है। 


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