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13 नवंबर को अमेरिका जाएंगे तुर्की के राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप बोले- मिलने के लिए उत्सुक

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति ने 13 नवंबर को अमेरिका आने का उनका न्यौता स्वीकार कर लिया है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 08:48 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 08:48 AM (IST)
13 नवंबर को अमेरिका जाएंगे तुर्की के राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप बोले- मिलने के लिए उत्सुक
13 नवंबर को अमेरिका जाएंगे तुर्की के राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप बोले- मिलने के लिए उत्सुक

वॉशिंगटन,एएनआइ।  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि उनके तुर्की समकक्ष राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने 13 नवंबर को वाशिंगटन आने का उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। उन्होंने आगे कहा कि वह तुर्की समकक्ष से मिलने के लिए उत्सुक है। 

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राष्ट्रपति ट्रंप ने तुर्की के राष्ट्रपति के साथ फोन पर बातचीत की उसके बाद उनके व्हाइट हाउस आने का एलान किया। दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हुई। दरअसल, तुर्की ने इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बकर अल बगदादी की पत्नी को पकड़ने का दावा किया था। इसके बाद ही दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई है। बुधवार को दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने आईएसआईएस आतंकवादियों के खिलाफ तुर्की द्वारा की गई कार्रवाइयों पर चर्चा की।

ट्रंप ने ट्वीट करते हुए लिखा कि  तुर्की के राष्ट्रपति @RTErdogan के साथ फोन पर अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने मुझे सूचित किया कि उन्होंने कई ISIS लड़ाकों को पकड़ लिया है। जिनके संघर्ष के दौरान भाग जाने की सूचना मिली थी। जिसमें  अल बगदादी की एक पत्नी भी शामिल है। 

फोन कॉल पर बातचीत के दौरान, दोनों नेताओं ने तुर्की-सीरिया सीमा की स्थिति पर भी चर्चा की, जिसमें हाल ही में अंकारा द्वारा 30 किलोमीटर सुरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए कुर्द बलों को सीरिया में वापस धकेलने के लिए सैन्य आक्रमण शुरू करने के बाद तनाव में वृद्धि देखी गई। तुर्की के सैन्य अभियान के बाद, ट्रंप ने तुर्की के साथ 100 बिलियन अमरीकी डालर के व्यापारिक सौदे पर बातचीत को रोक दिया था, स्टील शुल्क को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था और तुर्की के तीन वरिष्ठ अधिकारियों और तुर्की के रक्षा और ऊर्जा मंत्रालयों पर प्रतिबंध लगा दिए थे।

हालांकि, ट्रम्प ने तुर्की पर लगाए गए सभी प्रतिबंधों को हटा दिया था क्योंकि यह कुर्द बलों पर अपने हमलों को रोकने और सीरिया में युद्धविराम को स्थायी बनाने के लिए सहमत हो गया था।


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