ट्रंप ने दिए ईरान पर सैन्य कार्रवाई के संकेत; कहा- हम अपराधी को जानते हैं
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अमेरिका तैयार है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास पर्याप्त तेल भंडारण है।
वाशिंगटन, एजेंसी अमेरिका के अहम साझीदार सऊदी अरब की तेल कंपनी अरैमको के दो संयंत्रों पर बीते शनिवार को हुए ड्रोन हमले के बाद ईरान पर फिर सैन्य कार्रवाई का खतरा मंडराने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'हम जानते हैं कि अपराधी कौन है? लेकिन इसकी पुष्टि होने का इंतजार कर रहे हैं।' इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि वह सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार हैं। ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों ने सऊदी तेल संयंत्रों पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। लेकिन सऊदी अरब और अमेरिका ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है। ईरान ने हालांकि इससे इन्कार किया है।
ट्रंप प्रशासन ने हमले के पीछे ईरान का हाथ होने के समर्थन में सेटेलाइट से ली गई कई तस्वीरें जारी की हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है, तस्वीरों से जाहिर होता है कि सऊदी तेल संयंत्रों पर उत्तर पश्चिम की ओर से हमला किया गया था। इससे यह पता चलता है कि हमला यमन की ओर से नहीं बल्कि फारस की खाड़ी, इराक या ईरान की ओर से किया गया था। हाउती विद्रोहियों का राजधानी सना समेत यमन के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा है।
क्रूज मिसाइल के इस्तेमाल पर संदेह
ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमले में कई ड्रोन और क्रूज मिसाइल इस्तेमाल किए जाने का संदेह है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस तरह की उन्नत क्षमता अकेले हाउती विद्रोहियों के बूते की नहीं है। इससे पहले शनिवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने भी कहा था कि तेल संयंत्रों पर हमले के लिए ईरान जिम्मेदार है। इसका कोई सुबूत नहीं है कि हमला यमन की ओर से किया गया था।
ट्रंप ने कहा, सऊदी अरब के बयान का इंतजार
ट्रंप ने अपने बयान में ईरान का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि पहले सऊदी अरब से विचार-विमर्श की जरूरत है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने रविवार शाम एक ट्वीट में कहा, 'सऊदी अरब की तेल आपूर्ति पर हमला किया गया। हम जानते हैं कि अपराधी कौन है? लेकिन हम सऊदी अरब की ओर से यह सुनने का इंतजार कर रहे हैं कि वे हमले के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं? हमें कई शर्तो के साथ आगे बढ़ना होगा।'
दागे गए थे 17 हथियार
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि सऊदी तेल संयंत्रों की ओर 17 से ज्यादा हथियार दागे गए थे, लेकिन इनमें से कई अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचे थे।
तब हमले से पीछे हट गए थे ट्रंप
ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते से पिछले साल मई में अमेरिका के हटने के बाद से ही दोनों देशों में तनाव चल रहा है। ईरान ने गत जून में अमेरिका के एक ड्रोन को मार गिराया था। इसके बाद ट्रंप ने ईरान पर हमले का आदेश दे दिया था, लेकिन हमले से महज दस मिनट पहले वह इससे पीछे हट गए थे।
पश्चिम एशिया में तैनात हैं विमानवाहक पोत
ईरान से खतरे के मद्देनजर गत मई से ही पश्चिम एशिया में कई अमेरिकी युद्धपोत और एक विमानवाहक पोत तैनात हैं। अमेरिका ने क्षेत्र में अपने बमवर्षक विमान भी तैनात कर रखे हैं।