COVID-19: लड़खड़ा रहे हैं चीन-अमेरिका के रिश्ते, 22 महीने लंबे व्यापार संधि पर ग्रहण
कोरोना वायरस के वैश्विक प्रसार के बाद अमेरिका और चीन के रिश्ते एक नए दौर से गुजर रहे हैं। दोनों देशों के बीच इसका असर नकारात्मक और बहुआयामी है।
वाशिंगटन, एजेंसी। कोरोना वायरस के वैश्विक प्रसार के बाद अमेरिका और चीन के रिश्ते एक नए दौर से गुजर रहे हैं। दोनों देशों के बीच इसका असर नकारात्मक और बहुआयामी है। इससे जहां दोनों देशों के बीच राजीनतिक संबंध बिगड़ चुके हैं, वहीं अब इससे वाशिंगटन और बीजिंग के बीच आर्थिक और सामरिक रिश्ते भी लड़खड़ा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीनी नेतृत्व के साथ अपनी हताशा व्यक्त किया। आइए जानते हैं कोरोना वायरस के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में आए नए मोड़ का सच।
22 महीने लंबे व्यापार पर लग सकता है ग्रहण
इसका व्यापक असर दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों पर भी पड़ रहा है। अमेरिका और चीन ने अपने 22 महीने लंबे व्यापार युद्ध को समाप्त करने के लिए जनवरी में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत दोनों देश व्यापारिक रिश्तों को आगे बढ़ाने पर राजी हुए थे। इसके तहत बीजिंग 2020-2021 में अमेरिकी वस्तुओं की अपनी खरीद को 200 बिलियन अमरीकी डॉलर तक बढ़ाने पर सहमत हुआ था। व्हाइट हाउस में कैबिनेट मीटिंग के दौरान ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि मुझे लगता है कि तीन महीने पहले की तुलना में अब मैं उस सौदे के बारे में अलग तरह से महसूस करता हूं।
कम्युनिस्ट सरकार ने दुनिया को धोखे में रखा
सीनेटर मार्टन मैकस्ली ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने दुनिया को धोखे में रखा। उसने कोरोना वायरस की जानकारियों को छिपाया। चीन ने कोरोना महामारी के सारे साक्ष्य छिपा लिए। चीन की कम्युनिष्ट सरकार ने पत्रकारों को भी बाहर निकाल दिया। उनकी लापरवाही से यह वायरस पूरी दुनिया भर में फैल गया। उन्होंने कहा कि करीब 90 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पूरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। लॉकडाउन के चलते कई कंपनियां बंद हो चुकी है। इससे देश में 35 लाख अपनी नौकरी से हाथ धो बैठे हैं।