राष्ट्रपति ट्रंप की पूर्वी लद्दाख पर पैनी नजर, बोले- दोनों पक्षों के लिए बेहद मुश्किल हालात
उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बनाव बना हुआ है। दोनों देश एक कठिन परिस्थिति से गुजर रहे हैं।
वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह भारत-चीन के मध्य उपजे तनाव पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बनाव बना हुआ है। दोनों देश एक कठिन परिस्थिति से गुजर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के साथ लंबे संघर्ष के मूड में नहीं दिखे। मोदी शांतिपूर्ण माध्यम से सीमा विवाद का निस्तारण चाहते हैं।
बाले ट्रंप, समस्या बड़ी है
ट्रंप ने व्हाइट हाउस के बाहर संवाददाताओं से कहा कि 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़पों में 20 भारतीय सेना के जवानों के मारे जाने के बाद दिल्ली और बीजिंग के बीच तनाव बढ़ गया है। चीनी पक्ष की ओर से हताहतों की संख्या बताई गई है, लेकिन सटीक आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं। दोनों देशों के लिए यह एक कठिन परिस्थिति है। हम भारत और चीन के निरंतर संपर्क में हैं। वहां एक बड़ी समस्या है। दोनों पक्ष मारपीट पर उतर आए हैं। ट्रंप ने आगे कहा कि हम यह देखेंगे कि क्या होता है। हम उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के अपने बयान का दिया हवाला
दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव के मद्देनजर अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले महीने सोशल मीडिया पर कहा था कि हमने भारत और चीन दोनों से कहा था कि इस समस्या के निस्तारण के लिए अमेरिका तैयार है। वह मध्यस्थता करने में सक्षम है। राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के साथ बड़े संघर्ष के मूड में नहीं थे। भारत और चीन दोनों ने हमारे प्रस्ताव को ठुकरा दिया। दोनों पक्षों ने इस समस्या को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने की बात कही थी।
सीमा तनाव को कम करने के लिए राजनयिक पहल
हालांकि, ट्रंप की इस पेशकश पर सवालों का जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने तब कहा था कि हम इस मुद्दे को शांति से हल करने के लिए चीनी पक्ष के साथ लगे हुए हैं। यहां तक कि व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव कायले मैकनी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप की भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की मध्यस्थता की कोई औपचारिक योजना नहीं है। पिछले हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने सीमा रेखा पर चर्चा करने के लिए टेलीफोन पर बातचीत की थी। दिल्ली ने कहा कि चीनी बलों ने पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप हिंसा हुई है।
बाज नहीं आ रहा ड्रैगन
इस बीच चीन ने एक बार फिर शनिवार की सुबह अपनी एक जारी बयान में पूरी गलवन घाटी पर अपना दावा जताया है। इतना ही नहीं हाल में पूर्वी लद्दाख सीमा पर हुए विवाद के लिए भी पूरी तरह से भारत को ही दोषी ठहरा दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान झाओ ने सोशल मीडिया पर अपना बयान जारी किया है। चीनी प्रवक्ता ने ये दिखाने का प्रयास किया है कि भारत अपनी गलती मान गया है और वह अपने सैनिक पीछे कर रहा है। चीनी दावों के विपरीत सच्चाई ये है कि भारतीय सेनाओं ने चीन सीमा से लगे अग्रिम मोर्चों पर तैनाती बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को अपने बयान में स्पष्ट कर दिया है कि सेना को फैसले लेने के लिए पूरी छूट दी गई है। शुक्रवार को ही वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भी लेह का दौरा कर तैयारियों का जायजा लिया था।