कोरोना मरीजों पर ट्रंप के दिए बयान से हैरान हैं एक्सपर्ट, 99 फीसद मरीजों को बताया Harmless
राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि अमेरिका में 99 फीसद कोरोना के मरीज खतरे से बाहर हैं। उनके इस बयान पर जानकारों ने हैरानी जताई है।
वाशिंगटन (न्यूयॉर्क टाइम्स)। पूरी दुनिया में अमेरिका कोरोना महामारी से बुरी तरह से पीडि़त हैं। यहां पर इससे संक्रमित मरीजों की संख्या 30 लाख को भी पार कर चुकी है वहीं 1.30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने सभी को हैरान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि देश में कोरोना वायरस का खतरा कम हो रहा है और उन्होंने इसकी गंभीरता को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि देश में करीब एक करोड़ लोगों का टेस्ट किया जा चुका है। इनमें से कई लोगों में इसकी पुष्टि होने के बावजूद करीब 99 फीसद मरीज पूरी तरह हार्मलैस हैं।
उनका ये बयान ऐसे समय में आया है जब देश में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। उनके इस बयान से हर कोई हैरान है। एनवाईटी पब्लिक हेल्थ ऑफिशियल के हवाले से लिखा है कि करीब 28 लाख अमेरिकी ऐसे हैं जिनमें संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों का तो यहां तक कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की वास्तविक संख्या इससे 10 गुना अधिक हो सकती है।
राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि किसी दूसरे देश ने इतने बड़े पैमाने पर लोगों की टेस्टिंग नहीं की है जितनी अमेरिका में हुई हैं। उनके मुताबिक देश में अब तक 4 करोड़ लोगों का टेस्ट किया जा चुका है। उनके मुताबिक इनमें से 99 फीसद मरीजों को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि इतने बड़े पैमाने पर आंकड़े भी किसी अन्य देश ने प्रस्तुत नहीं किए हैं। हालांकि ट्रंप के इन बयानों को एक्सपर्ट बेबुनियाद मानते हैं। इनका कहना है कि हानिकारक को अपने तरीके से परिभाषित किया जा सकता है, लिहाजा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप इसको कैसे लेते हैं।
एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप केवल इससे होने वाली मौतों के आंकड़े को देख रहे हैं जो एक फीसद या उससे भी कम है, लेकिन इससे केारोना के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता है। लाखों लोग ऐसे हैं जिन्हें इस वायरस के लक्षण नहीं हैं, लाखों ऐसे हैं जो अस्पताल में भर्ती है और इससे जूझ रहे हैं। इन जानकारों की राय में ये केवल संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है। इनके मुताबिक जिन्हें बीमारी के लक्षण नहीं हैं उन्हें इसका अहसास अभी नहीं है, वहीं इनमें माइल्स केस वाले भी मरीज हैं, जिन्हें इसका अहसास कुछ देर के लिए होता है।
कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि देश में इस वायरस से मरने वालों की मृत्युदर बहुत अधिक है। इसकी वजह वे मानते हैं कि कुछ लोग अस्पताल नहीं पहुंच पाए और उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके अलावा टेस्टिंग की कमी और मरीजों को इलाज न मिल पाना एक बड़ी वजह है। कुछ का ये भी मानना है कि ऐसे मरीज भी कम नहीं है जिन्हें पॉजीटिव पाया गया लेकिन क्योंकि उनमें इसके लक्षण नहीं थे इस लिए उनको खतरनाक नहीं मानते हुए अलग कर दिया गया। इसकी वजह से ये वायरस दूसरों में भी फैल गया।