चिंताजनक: बढ़ते तापमान से घट रही है पेड़ों की कार्बन डाईऑक्साइड सोखने की क्षमता
मनुष्यों द्वारा उत्सर्जित की जा रही ग्रीन हाउस गैसों जैसे Co2 आदि का चौथाई हिस्सा पेड़ और मिट्टी सोख लेते हैं। लेकिन तापमान बढ़ने पर पेड़ और मिट्टी की Co2 सोखने की क्षमता घट जाएगी।
वाशिंगटन [द न्यूयॉर्क टाइम्स]। ग्रीन हाउस गैसों के लगातार उत्सर्जन से पृथ्वी पर कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा ा बढ़ रही है। यह गैस तब भी हमारी दुनिया में प्रचुर मात्रा में मौजूद थी जब इस धरती पर डायनोसोर निवास किया करते थे। उस वक्त पृथ्वी पर बड़ी संख्या में जंगल भी मौजूद थे। इसी तथ्य के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना था कि कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा अधिकता होने से जंगलों का विस्तार होता है। भविष्य में भी इस गैस के बढ़ने से जंगल तेजी से बढ़ेंगे क्योंकि पेड़-पौधों को प्रकाश-संश्लेषण के लिए इस गैस की जरूरत होती है। लेकिन हाल ही में किए गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों की यह परिकल्पना गलत सिद्ध हो गई है।
वर्तमान में मनुष्यों द्वारा उत्सर्जित की जा रही ग्रीन हाउस गैसों जैसे कार्बन डाईऑक्साइड आदि का चौथाई हिस्सा पेड़ और मिट्टी सोख लेते हैं। इसके फलस्वरूप हमारा ग्रह जलवायु परिवर्तन के विकटतम दुष्प्रभावों से बचा हुआ है, लेकिन धरती का तापमान बढ़ने पर पेड़ और मिट्टी की कार्बन डाईऑक्साइड सोखने की क्षमता घट जाएगी।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में इसका दावा किया गया है। अध्ययन के परिणामों के अनुसार, यह हमारे हित में नहीं है क्योंकि इससे जलवायु परिवर्तन से निपटना नामुमकिन हो जाएगा। प्रोफेसर पियरे जेंटीन ने कहा, हम इस उम्मीद में थे कि अगर कार्बन डॉइऑक्साइड बढ़ रही है तो भविष्य में कहीं न कहीं पेड़-पौधे भी बढ़ेंगे। धरती हरी-भरी हो सकती है, लेकिन परिणा दर्शाते हैं कि इसके विपरीत होने वाला है।’ बता दें कि अभी दुनिया में बहुत तेजी से कार्बन का उत्सर्जन हो रहा है। चीन (27 फीसद), अमेरिका (15 फीसद), यूरोपीय संघ (10 फीसद) और भारत (7 फीसद) सबसे बड़े चार कार्बन उत्सर्जक देश हैं।
सूखे की स्थिति में बढ़ती है खतरनाक गैस
जिस साल कम बारिश होने से सूखा पड़ता है उस साल वायुमंडल में इस गैस की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे स्पष्ट है कि पौधे गर्मी ज्यादा पड़ने पर उतनी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड नहीं सोख पाते। सूखे के दौरान तापमान बढ़ने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीव भी अधिक मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं। बारिश के दौरान पौधे व मिट्टी दोनों ही अधिक मात्रा में यह गैस सोख लेते हैं, लेकिन सूखे के दौरान वातावरण में इस गैस की मात्रा संतुलित नहीं हो पाती। जलवायु परिवर्तन के कारण कभी सूखा और कभी बारिश जैसी स्थितियां उत्पन्न होंगी। इस परिवर्तन के कारण कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करना अधिक मुश्किल हो जाएगा। जिससे स्थितियां जटिल होंगीं।