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कोरोना के बाद जानलेवा Chapare virus की दस्‍तक से सहमे वैज्ञानिक, जानें क्‍या है मामला

दुनिया में कोरोना वायरस के बाद खतरनाक Chapare virus से वैज्ञानिकों के कान खड़े हो ए गए हैं। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने हाल ही में बोलीविया में एक दुर्लभ वायरस की खोज की है। यह वायरस मानव से मानव में हस्‍तांरित होता है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 03:29 PM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 09:11 AM (IST)
कोरोना के बाद जानलेवा Chapare virus की दस्‍तक से सहमे वैज्ञानिक, जानें क्‍या है मामला
सीडीसी ने हाल ही में बोलीविया में एक दुर्लभ वायरस की खोज की है। फाइल फोटो।

वाशिंगटन, एजेंसी। कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद अब जानलेवा चैपर वायरस की आहट ने सबको चौंका दिया। इस वायरस के दस्‍तक से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। दरअसल, अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने हाल ही में बोलीविया में एक दुर्लभ वायरस की खोज की है।  कोरोना वायरस की तरह यह वायरस मानव से मानव में हस्‍तांरित होता है। यह वायरस के एक परिवार से संबंधित है, जो इबोला जैसे रक्‍तस्रावी बुखार पैदा कर सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार वर्ष 2019 में बोलीविया की राजधानी ला पाज में दो सं‍क्रमित व्‍यक्तियों के संपर्क में आने से तीन स्वास्थ्य कर्मियों इसकी चपेट में आ गए थे।

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वर्ष 2003 में पहली बार इस वायरस को चिन्हित किया गया

वायरस हेमरेजिक फीवर (CHHF)एक रक्‍तस्रावी बुखार है। वर्ष 2003 में पहली बार बोलीविया में इस वायरस को चिन्हित किया गया। बोलीविया में पहली बार चैपर वायरस से संक्रमित मरीज सामने आए। इसके बाद कई वर्षों तक इसका दूसरा प्रकोप वर्ष 2019 में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। 2004 में ला पाज से 370 मील पूर्व में चैपर क्षेत्र में वायरस का प्रसार हुआ था। इसलिए इसका नाम चैपर पड़ गया।

चैपर से इंटरनल ब्‍लीडिंग की समस्‍या

चैपर एक जानलेवा बुखार है। यह बुखार की एक ऐसी स्थिति है, जो रक्‍त को थक्‍का बनने में बाधा उत्‍पन्‍न करता है। इससे नसों में बहने वाला रक्‍त काफी पतला हो जाता है। यह रक्‍त कोशिकाओं की भी क्षति करता है। इसके परिणामस्‍वरूप इंटरनल ब्‍लीडिंग की समस्‍या उत्‍पन्‍न हो सकती है। यह एक सीवयर डिसऑर्डर पैदा कर सकता है।

भारत का मौसम वायरस के प्रजनन और प्रसार का बड़ा कारक

चैपर वायरस के तहत कई बीमारियों को वर्गीकृत किया जाता है। इनमें डेंगू, यलो फीवर, मारबर्ग, लासा और इबोला शामिल है। इस तरह की बीमारियां दुनिया के ट्रॉपिकल एरिया में आम हैं। भारत में बदलते मौसम के कारण इस वायरस के प्रजनन और प्रसार के लिए एकदम उपयुक्‍त वातावरण है। इसलिए भारत में इस वायरस का प्रसार तेजी से हो सकता है। यह संक्रमित जानवरों एवं मानव से मानव के जरिए फैलता है।

लाइलाज है हेमरेजिक फीवर

वायरस हेमरेजिक फीवर (CHHF) का कोई उपचार नहीं है। अधिकांश हेमरेजिक फीवर के लिए निवारक उपाय ही बेहतर तरीका है। ज्‍यादातर मामलों में उच्‍च बुखार, थकान, कमजोरी और चक्‍कर आना जैसे सामान्‍य लक्ष्‍ण शामिल हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में रक्‍त स्राव हो सकता है। यह स्राव त्‍वचा के साथ मुंह, आंख या कान से हो सकता है। कोरोना वायरस की तरह चैपर का बुखार भी जानलेवा हो सकता है। बुखार के लक्ष्‍ण दिखते ही बिना विलंब किए इसका उपचार शुरू किया जाना चाहिए।


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