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कोरोना महामारी से बचाव के लिए संस्था ने पहले ही किया था आगाह, मगर नहीं दिया गया ध्यान

रिपोर्ट में कहा गया है कि नेताओं को एक संक्रामक महामारी से लड़ने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दे दी गई थी लेकिन उसके बावजूद उनसे चूक हुई।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 06:02 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 06:02 PM (IST)
कोरोना महामारी से बचाव के लिए संस्था ने पहले ही किया था आगाह, मगर नहीं दिया गया ध्यान
कोरोना महामारी से बचाव के लिए संस्था ने पहले ही किया था आगाह, मगर नहीं दिया गया ध्यान

नई दिल्ली, रॉयटर्स। ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस जैसी महामारी फैलने के लिए पहले से चेतावनी नहीं दी गई थी। एक संस्था ने साल 2019 में ही इस तरह की वैश्विक महामारी फैलने की चेतावनी दी थी, साथ ही ये भी कहा था कि इस महामारी से बचने के लिए व्यापक पैमाने पर तैयारियां करनी होंगी मगर उसके बाद देश के नेताओं ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जिसका नतीजा हमारे सामने है। 

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ग्लोबल प्रीपेयरेडनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) नामक एक संस्था ने इसको लेकर एक सर्वे किया जिसमें चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नेतृत्व का अभाव मौजूदा महामारी को और बढ़ा रहा है। साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर कोविड-19 जैसी महामारी से हम सबक नहीं सीख पाए तो इसका मतलब होगा कि अगली महामारी, जिसका भी आना तय है और ज्यादा नुकसानदेह होगी।  

संस्था की ओर से राजनेताओं की सामूहिक असफलता की आलोचना की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेताओं को एक संक्रामक महामारी से लड़ने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दे दी गई थी लेकिन उसके बावजूद उनसे चूक हुई। रिपोर्ट में नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इस संस्था के सह संयोजक विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) दोनों हैं। डब्ल्यूएचओ के पूर्व महानिदेशक ग्रो हार्लेम ब्रूनलैंड इसके अध्यक्ष हैं और वो इस समय डब्ल्यूएचओ पर निगरानी रखने वाली एक स्वतंत्र संस्था के भी अध्यक्ष हैं।

जीपीएमबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि तैयारी करने के लिए पर्याप्त वित्तीय और राजनीतिक निवेश नहीं किया गया और हम सब उसकी कीमत चुका रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसा नहीं है कि दुनिया को तैयारी के लिए कदम उठाने का मौका नहीं मिला। पिछले एक दशक में कई बार कदम उठाने की मांग की गई लेकिन कभी भी वो बदलाव नहीं किए गए जिनकी जरूरत है।

2019 में जीपीएमबी की रिपोर्ट चीन में कोरोना वायरस के सामने आने से कुछ महीने पहले जारी की गई थी और उसमें कहा गया था कि सांस के जरिए असर करने वाले एक घातक रोगाणु की वजह से तेजी से फैलने वाली एक महामारी का वास्तविक खतरा है। रिपोर्ट में चेतावनी भी दी गई थी कि ऐसी महामारी लाखों लोगों की जान ले सकती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकती है।

इस साल की रिपोर्ट का शीर्षक है ए वर्ल्ड इन डिसऑर्डर (A World in Disorder) और उसमें कहा गया है कि इसके पहले कभी भी विश्व के नेताओं को एक विनाशकारी महामारी के खतरों के बारे में इतने स्पष्ट रूप से आगाह नहीं किया गया था, लेकिन इसके बावजूद वे पर्याप्त कदम उठाने में असफल रहे। रिपोर्ट में आगे लिखा है कि कोविड-19 महामारी ने महामारी निवारण, तैयारी और प्रतिक्रिया को गंभीरता से लेने और उसी हिसाब से उसे प्राथमिकता देने में हमारी सामूहिक असफलता को उजागर कर दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की महामारी दुनिया को अव्यवस्थित करने में कामयाब होती है, कोरोना ने वैसा ही किया। कोविड-19 ने यह साबित भी कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल भर पहले ही सरकारों के मुखियाओं के महामारी की तैयारी करने के लिए आगाह किया गया था। मगर उसके बाद भी उनकी ओर से इस बारे में न तो एहतियात बरता गया ना ही उस हिसाब से इसके लिए कदम ही उठाए गए। जिसका परिणाम ये रहा कि अर्थव्यवस्था बिगड़ने के साथ-साथ लोगों का जीवन भी खत्म हुआ।


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